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अमेरिका से अकेले चेन्नई जिले ने हासिल किये 2.2 लाख एच1बी वीजा हासिल किए: डेव ब्रैट

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वाशिंगटन. अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है. अमेरिकी अर्थशास्त्री और पूर्व सांसद डेव ब्रैट ने दावा किया है कि H-1B सिस्टम इंडस्ट्रियल-लेवल फ्रॉड का शिकार हो चुका है.

उनका आरोप है कि भारत के चेन्नई जिले को अकेले 2.2 लाख वीजा मिले, जबकि पूरी दुनिया के लिए सालाना लिमिट सिर्फ 85,000 है. यह संख्या तय सीमा से ढाई गुना ज्यादा है और इसी वजह से विवाद गहरा गया है.

क्या है 2.2 लाख वीजा वाला बड़ा दावा?

पूर्व सांसद डेव ब्रैट ने पॉडकास्ट में बताया कि H-1B सिस्टम की धांधली अब खुलकर सामने आ रही है. उनके मुताबिक 71% H-1B वीज़ा भारत को मिलते हैं, सिर्फ 12% चीन को जाते हैं. और इनमें भी चेन्नई (मद्रास) जिले को अकेले 220,000 वीज़ा हासिल हुए. ब्रैट का कहना है कि यह आंकड़ा साफ बताता है कि H-1B प्लेटफॉर्म को गलत तरीके से कैप्चर किया जा रहा है. उन्होंने इसे अमेरिकी परिवारों के भविष्य पर हमला बताया.

चेन्नई कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा H-1B हब?

अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2024 में चेन्नई स्थित US Consulate ने करीब 2.2 लाख H-1B वीज़ा एप्लिकेशन प्रोसेस किए. इसके साथ ही करीब 1.4 लाख H-4 (डिपेंडेंट) वीज़ा भी प्रोसेस हुए. यह इतना बड़ा आंकड़ा इसलिए है क्योंकि चेन्नई कॉन्सुलेट चार बड़े राज्यों-तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना के एप्लिकेशन संभालता है. टेक इंडस्ट्री में भारी मांग के चलते यह दुनिया का सबसे व्यस्त H-1B सेंटर बन चुका है.

क्या दस्तावेजों में धांधली होती है?

डेव ब्रैट के आरोपों के बाद, एक पुराना बयान फिर सुर्खियों में है. भारतीय-अमेरिकी फॉरेन सर्विस ऑफिसर महवश सिद्दीकी, जिन्होंने 200507 के बीच चेन्नई कॉन्सुलेट में काम किया, ने दावा किया था कि भारी संख्या में नकली डिग्रियां, गलत दस्तावेज़ और कम-कौशल वाले वर्कर्स के फर्जी क्रेडेंशियल हज़ारों एप्लिकेशन में पाए गए. उनका कहना था कि उन्होंने 51,000 से ज्यादा वीज़ा इंटरव्यू किए और उनमें से 8090% केस संदिग्ध दस्तावेजों वाले थे.

ट्रंप प्रशासन ने भी कसा शिकंजा

डोनाल्ड ट्रंप ने सितंबर 2025 में H-1B पर नई सख्ती लागू की. नई पिटीशन्स पर 1 लाख डॉलर अतिरिक्त शुल्क, H-1B सिस्टम के बड़े पैमाने पर रीफॉर्म की तैयारी और अब अमेरिकी कांग्रेस में एक नया बिल भी जिसका उद्देश्य पूरे H-1B प्रोग्राम को खत्म करना बताया जा रहा है. PTI के अनुसार, यह बिल वीजा का सिटिजनशिप वाले रास्ते को भी खत्म करना चाहता है, ताकि वीज़ा की अवधि खत्म होने पर लोग वापस लौटें.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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यह भी पढ़ें : 1857 का स्वातंत्र्य समर : कारण से परिणाम तक

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