जम्मू. सिंधु जल समझौता स्थगित करने के बाद पाकिस्तान को लग रहा था कि भारत पश्चिमी दिशा में बहने वाली नदियों के पानी पर ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा. लेकिन ऐसा नहीं है. मोदी सरकार खामोश लेकिन दृढ तरीके से उसे प्यासा तरसाने के इंतजाम पर आगे बढ़ रही है. अब सरकार ने चेनाब नदी पर दुलहस्ती बांध का विस्तार करने वाले प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. भारत का यह फैसला इसलिए खास हो जाता है क्योंकि सिंधु जल संधि के तहत इस नदी का सारा पानी पाकिस्तान के लिए आवंटित था. लेकिन अब जब संधि अस्तित्व में ही नहीं है तो भारत से भी इसका पालन करने की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है. इसका फायदा उठाकर भारत अब तेजी से इस प्रोजेक्ट पर कदम आगे बढ़ाने जा रहा है.
चेनाब नदी पर बनेगा नया वाटर प्रोजेक्ट
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एक्सपर्टों के पैनल ने चेनाब नदी पर 260 मेगावाट की दुल्हस्ती स्टेज-II जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही इस नदी पर रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना के निर्माण का टेंडर जारी करने का रास्ता क्लियर हो गया है. इसकी अनुमानित लागत 3200 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
यह प्रोजेक्ट जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बनाया जाएगा. इसके लिए करीब 60 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी इननमें से 8.27 हेक्टेयर जमीन किश्तवाड़ जिले के दो गांवों बेंजवार और पलमार के किसानों से सीधी बातचीत कर खरीदी जाएगी.
सुरंग बनाकर डायवर्ट किया जाएगा पानी
एक्सपर्टों के मुताबिक, यह सरकार का कोई नया प्रोजेक्ट नहीं है बल्कि पहले से चल रहे दुल्हस्ती स्टेज-I हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (दुल्हस्ती पावर स्टेशन) का ही विस्तार है. इसके पहले पार्ट को राष्ट्रीय जलविद्युत निगम लिमिटेड ने वर्ष 2007 में सफलतापूर्वक तैयार कर राष्ट्र को सौंपा था. जिससे करीब 390 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है.
अब इसी प्रोजेक्ट का विस्तार करते हुए दुल्हस्ती स्टेज-II परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा. प्लान के तहत चेनाब नदी पर स्टेज-I पावर स्टेशन से करीब 4 किमी लंबी और 8.5 मीटर व्यास वाली सुरंग बनाई जाएगी. जिससे इसके पानी को डायवर्ट करके दूसरी जगह पर बनने वाली झील में भेजा जाएगा. इस प्रोजेक्ट में 130-130 मेगावाट यूनिट बिजली पैदा करने वाली दो यूनिट होंगी. जिसके बाद इस स्टेज-2 प्रोजेक्ट से 260 मेगावाट बिजली बन सकेगी.
पाकिस्तान को बूंद-बूंद के लिए तरसाने की तैयारी
रिपोर्ट के मुताबिक, 1960 में हुई सिंधु जल संधि के मुताबिक ऊपरी तीन नदियों यानी सिंधु, झेलम और चेनाब के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था. जबकि रावी व्यास और सतलुज नदियां भारत के हिस्से में आई थी. पहलगाम में इस साल 23 अप्रैल को हिंदू पर्यटकों पर हुए बर्बर हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ चल रही यह संधि एकतरफा तरीके से स्थगित कर दी थी.
अब चूंकि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई जल संधि अस्तित्व में नहीं है. इसलिए मोदी सरकार सिंधु बेसिन में एक के बाद एकजलविद्युत परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है. सरकार की ओर से सावलकोट, रटले, बुरसर, पाकल दुल, क्वार, किरु और किर्थाई I और II परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है. इन परियोजनाओं के पूरे होने से देश में जगह-जगह चल रहा पानी का संकट दूर होगा. वहीं पाकिस्तान को अपनी करनी का अंजाम भुगतना होगा.
साभार : जी न्यूज
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