नई दिल्ली. पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने से पहले मोदी सरकार ने देश के लोगों को सतर्क और जागरूक करने के लिए मॉक ड्रिल कराई थी. इसके बाद पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह कर दिया था. आतंकियों के खिलाफ इस एक्शन से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर हमले की कोशिश की. पाकिस्तान ने सीमा से सटे राज्यों पर ड्रोन से हमले करने की कोशिश की थी. इस दौरान सेनाओं के शौर्य के साथ ही मॉक ड्रिल की जागरूकता भी काफी कारगर साबित हुई थी. ऐसे में अब जब सरकार ने दोबारा मॉक ड्रिल कराने का आदेश जारी किया है तो लोगों के जेहन में ‘क्या कुछ बड़ा होने वाला है’ जैसे सवाल उठ रहे हैं.
गुरुवार को होने वाली मॉक ड्रिल एहतियात के तौर पर पाकिस्तान से सटे राज्यों में कराई जाएगी. ये मॉक ड्रिल 29 मई को गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर के साथ ही हरियाणा में भी होनी थी. हालांकि, गुजरात और राजस्थान में अभी नहीं होगी. गुजरात सूचना विभाग की ओर से कहा गया है कि सिविल डिफेंस अभ्यास ‘ऑपरेशन शील्ड’ को प्रशासनिक कारणों से स्थगित कर दिया गया है. गुजरात और राजस्थान में अभ्यास के लिए अगली तारीख बाद में जारी की जाएगी. इसी तरह पंजाब में होने वाली मॉक ड्रिल अब 3 जून को होगी. गुरुवार को होने वाली मॉक ड्रिल में लोगों को युद्ध की परिस्थितियों से निपटने के बारे में जानकारी दी जाएगी. लोगों को सतर्क रहने की हिदायत भी दी जाएगी. प्रशासनिक स्तर पर भी मॉक ड्रिल, ब्लैक आउट, मॉल खाली कराना आदि तैयारियों का जायजा लिया जाएगा.
मॉक ड्रिल को लेकर क्या हैं तैयारियां?
राजस्थान में गुरुवार को पाकिस्तान की सीमा से लगे जिलों में मॉक ड्रिल होनी थी. आगे होने वाली मॉक ड्रिल में लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी जाएगी. मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजेंगे. इस दौरान इमरजेंसी व्यवस्थाओं को जांचा जाएगा. हरियाणा में भी ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत सिविल डिफेंस एक्सरसाइज की जाएगी. हरियाणा के सभी 22 जिलों में ब्लैकआउट होगा, जो कि रात 8 से 8.15 बजे तक 15 मिनट के लिए रहेगा. पंजाब में ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत मॉक ड्रिल 3 जून को होगी. दरअसल, पंजाब के सिविल डिफेंस कर्मचारियों को NDRF की तरफ से ट्रेनिंग दी जा रही है. इस वजह से सिविल डिफेंस कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं. इसी वजह से पंजाब की ओर से केंद्र को बताया गया है कि उनके यहां मॉक ड्रिल 3 जून को कराई जाएगी.
क्या है मॉक ड्रिल का मकसद?
मॉक ड्रिल के प्राथमिक उद्देश्यों में कंट्रोल रूम और हवाई हमले की वार्निंग सिस्टम की क्षमता का परीक्षण करना शामिल है. इसमें नागरिक सुरक्षा सेवाओं जैसे कि वार्डन सेवाएं, अग्निशमन, बचाव अभियान, डिपो प्रबंधन और निकासी योजनाओं की तैयारी की प्रभावशीलता का भी आकलन किया जाना है.
ब्लैक आउट में क्या होता है?
ब्लैकआउट को दुश्मन के हमलो या निगरानी से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और नागरिक क्षेत्रों को छिपाने के लिए किया जाता है. इस दौरान सभी स्ट्रीट लाइट, घरेलू लाइट, गाड़ियों की हेडलाइट और सार्वजनिक लाइटिंग बंद कर दी जाती है या ढक दी जाती है. ताकि शहर आसमान से अंधेरा दिखाई दे. लाइट को बाहर निकलने से रोकने के लिए खिड़कियों पर काले कागज, पर्दे या ढाल का उपयोग किया जाता है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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