वाशिंगटन. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की निगरानी कमेटी की रिपोर्ट ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की पोल खोल दी है. इस रिपोर्ट को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताई जा रही है. अमेरिका के सामने खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश का रोना रोने वाले पाकिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट दी है. यूएन की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम आतंकी हमले की दो बार जिम्मेदारी ली और घटनास्थल की एक तस्वीर भी प्रकाशित की थी. इस्लामिक स्टेट, अलकायदा, आतंकी संगठनों पर विश्लेषणात्मक समर्थन और प्रतिबंध निगरानी दल ने अपनी 36वीं रिपोर्ट प्रकाशित की है.
अटैक में लश्कर-ए-तैयबा की सीधी भूमिका
इस रिपोर्ट में पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख किया गया है. संयुक्त राष्ट्र ने जो कुछ भी बताया, वो उन देशों के मुंह पर तमाचा है, जो पाकिस्तान को आतंकवाद का पीड़ित बताते हैं. यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 अप्रैल 2025 को भारत के जम्मू कश्मीर के बैसरन घाटी में जो अटैक हुआ था, उसमें लश्कर ए तैयबा की सीधी भूमिका थी. लश्कर के इशारे पर ही आतंकियों ने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की जान ली थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम का कहना है कि पहलगाम अटैक में द रेजिडेंट फ्रंट ने जो जिम्मेदारी ली थी, वो एकदम सही था. जांच में कहा गया है कि लश्कर ने टीआरएफ के काम में मदद की थी. यूएन ने अपनी इस रिपोर्ट में सीधे तौर पर कहा कि हमले को पाकिस्तान-स्थित लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना अंजाम नहीं दिया जा सकता था.
लश्कर का ही मुखौटा है TRF
आपको बता दें कि लश्कर ए तैयबा के चीफ हाफिज सईद को भारत के साथ-साथ वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने लश्कर के मुरीदके स्थित हेडक्वार्टर को ध्वस्त कर दिया था, जिसमें कई खूंखार आतंकी मारे गए थे. भारत हमेशा से कहता रहा है कि टीआरएफ कोई और नहीं, बल्कि लश्कर का ही छद्म नाम है. पाकिस्तान से लश्कर आतंकी ही भारत में शांति बिगाड़ने के इरादे से टीआएफ के जरिए हमले करता है. लश्कर को पाकिस्तानी सेना का पूरा सपोर्ट है. पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई के जरिए भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है.
साल 2019 टीआरएफ की स्थापना
टीआरएफ का नाम इसलिए लिया जाता है, ताकि पाकिस्तान सेना और आईएसआई के चेहरे पर पर्दा ढका रहे. भारत हर अंतरराष्ट्रीय मंच से कहता रहा है कि टीआरएफ की स्थापना साल 2019 में की गई थी. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर के हाफिज सईद ने इसमें भूमिका निभाई थी. संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान और उनके मददगार देशों का मुंह बंद कर दिया है और भारत के दावों को सही बताया है. इस सप्ताह संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा के दौरान सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र का जिक्र किया था. एस जयशंकर ने खुलासा किया था कि पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा परिषद में बयान पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान ने टीआरएफ के नाम का किसी भी प्रकार का उल्लेख हटवाने की कोशिश की थी.
संयुक्त राष्ट्र ने लिया टीआरएफ का नाम
25 अप्रैल यानी पहलगाम नरसंहार के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर कहा था कि ऐसे घृणित आतंकवादी कृत्य के जिम्मेदार अपराधियों, षड्यंत्र कर्ताओं, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है. इस बयान में टीआरएफ का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र ने खुलेआम टीआरएफ के साथ-साथ लश्कर का भी नाम लिया है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 आईएसआईएल (दाएश) और अल-कायदा प्रतिबंध समिति को सौंपी गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टीआरएफ ने अगले दिन (23 अप्रैल) भी दोबारा इस हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन 26 अप्रैल को टीआरएफ ने अपने दावे को वापस ले लिया. इसके बाद टीआरएफ की ओर से कोई और बयान नहीं आया और न ही किसी अन्य समूह ने जिम्मेदारी ली. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि क्षेत्रीय संबंध अब भी नाजुक हैं और यह आशंका है कि आतंकवादी संगठन इन क्षेत्रीय तनावों का फायदा उठा सकते हैं.
पहलगाम हमले के 3 महीने बाद आतंकी संगठन घोषित
पहलगाम नरसंहार के 3 महीने बाद अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसी महीने ऐलान किया कि अमेरिका ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को एक नामित विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) की फेहरिस्त में शामिल किया गया है. रुबियो ने कहा, टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का ही छद्म संगठन था, जिसने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है.
पाकिस्तान की सीक्रेट जेल में है हाफिज सईद
पहलगाम नरसंहार के बाद पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को सीक्रेट जगह छिपा दिया है. कहने को तो हाफिज सईद को पाकिस्तान में सजा मिली हुई है. आतंकवाद की फंडिंग के आरोप में पाकिस्तान की जेल में 33 साल की सजा काट रहा है, लेकिन सच्चाई ये है कि पाकिस्तानी सेना की तरफ से हाफिज सईद को कड़ी सुरक्षा दी गई है और वह अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की कोशिश करता रहता है. लाहौर के किसी सीक्रेट जगह पर रखा गया है, जहां 24 घंटे पाकिस्तानी सेना के स्पेशल कमांडो और आईएसआई उसकी सुरक्षा में तैनात रहती है. हाफिज सईद और जैश सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद, पाकिस्तान में खुलेआम घूमते हैं और पाकिस्तानी सेना व खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन से लश्कर और जैश को संचालित करते हैं.
साभार : एबीपी न्यूज
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