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महात्मा गांधी को घायल ब्रिटिश सैनिकों की मदद के लिए अंग्रेजों ने दिया था ‘कैसर-ए-हिंद’ स्वर्ण पदक

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नई दिल्ली. ब्रिटिश क्राउन के प्रतिनिधि, भारत के वायसरॉय ने दक्षिण अफ्रीका के युद्धों में ब्रिटिश सैनिकों की निस्वार्थ सेवा के लिए मोहनदास करमचंद गांधी को प्रतिष्ठित ‘कैसर-ए-हिंद’ (Kaiser-i-Hind) स्वर्ण पदक प्रदान करने की घोषणा की थी। यह सम्मान गांधीजी को साम्राज्य के प्रति उनकी निष्ठा और युद्ध के कठिन समय में घायलों की सेवा करने के उत्कृष्ट प्रयासों के लिए दिया गया है।

एम्बुलेंस कोर और ब्रिटिश सहयोग

दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रवास के दौरान, श्री गांधी ने बोअर युद्ध (1899-1902) के समय ब्रिटिश सेना की सहायता के लिए एक ‘इंडियन एम्बुलेंस कोर’ का गठन किया था। उन्होंने और उनके स्वयंसेवकों ने युद्ध के मैदान में अपनी जान जोखिम में डालकर घायल ब्रिटिश सैनिकों को चिकित्सा सहायता पहुंचाई और उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया।

इसके अतिरिक्त, 1906 के जुलू विद्रोह के दौरान भी उन्होंने स्ट्रेचर-वाहक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गांधीजी का मानना था कि यदि वे ब्रिटिश नागरिक के रूप में अधिकारों की मांग करते हैं, तो साम्राज्य पर संकट आने पर उसका सहयोग करना भी उनका नैतिक कर्तव्य है।

सम्मान का महत्व

‘कैसर-ए-हिंद’ पदक सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में दिया जाने वाला एक अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि गांधीजी ने जिस साहस और मानवता का परिचय दिया, वह अन्य भारतीयों के लिए एक मिसाल है।

गांधीजी का विचार: “साम्राज्य के संकट के समय उसके साथ खड़ा होना एक नागरिक का धर्म है।”

गांधीजी ने लौटाया ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक

महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए गए प्रतिष्ठित ‘कैसर-ए-हिंद’ स्वर्ण पदक को वापस कर दिया है। वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड को लिखे एक कड़े पत्र में गांधीजी ने स्पष्ट किया कि अब वे ऐसी सरकार का सम्मान स्वीकार नहीं कर सकते जिसने भारतीय मुसलमानों की भावनाओं (खिलाफत मुद्दा) को ठेस पहुंचाई है।

महात्मा गांधी द्वारा 1 अगस्त 1920 को वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड को लिखे गए उस ऐतिहासिक पत्र के मुख्य अंश:

  • विश्वास का टूटना: गांधीजी ने लिखा कि वे कभी ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति अटूट श्रद्धा रखते थे, लेकिन खिलाफत के मुद्दे पर सरकार द्वारा की गई वादाखिलाफी और पंजाब (जलियांवाला बाग) के प्रति उसके रवैये ने उनके विश्वास को पूरी तरह खत्म कर दिया है।

  • सम्मान अब बोझ है: उन्होंने स्पष्ट किया, “जब तक उन गलतियों को सुधारा नहीं जाता जो सरकार ने की हैं, तब तक मेरे लिए सरकार द्वारा दिए गए किसी भी सम्मान को धारण करना एक बोझ और अपमान के समान है।”

  • सरकार की अनैतिकता: गांधीजी ने तर्क दिया कि एक ऐसी सरकार जो अपनी प्रजा की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं करती और निर्दोषों के खून की अनदेखी करती है, वह जनता का सहयोग पाने का अधिकार खो चुकी है।

लौटाए गए पदकों की सूची:

  1. कैसर-ए-हिंद स्वर्ण पदक: जो उन्हें 1915 में एम्बुलेंस सेवाओं के लिए मिला था।

  2. जुलू युद्ध पदक (Zulu War Medal): 1906 के विद्रोह के दौरान सेवा के लिए।

  3. बोअर युद्ध पदक (Boer War Medal): दक्षिण अफ्रीका के युद्ध में घायल सैनिकों की मदद के लिए।

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