नई दिल्ली (मा.स.स.). विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की मंत्रीस्तरीय बैठक रविवार को हुई. इसमें भारत ने मछली पकड़ने, कृषि व कोविड वैक्सीन के पेटेंट से जुड़े प्रस्तावों पर अपनी असहमति व्यक्त की. इसमें उसे 164 में से 80 सदस्यों का साथ भी मिला. भारत का साथ देने वाले सभी देश विकासशील देशों की सूची में आते हैं.
डब्ल्यूएचओ पिछले दो दशकों से यह चाहता है कि मत्स्य पालन और मछली पकड़ने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त की जाये. साथ ही इसके लिए स्थान भी तय हों. भारत इसका विरोध कर रहा है क्योंकि हमारे देश में मछली पकड़ने वाले लोग गरीब हैं. नए नियमों से उन्हें दिक्कत हो सकती है. भारत का यह भी कहना है कि कोई देश अपनी समुद्री सीमा में क्या करता है, यह तय करने का उसे पूरा अधिकार है, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय नियम नहीं बनाया जा सकता.
विश्व व्यापार संगठन चाहता है कि भारत सहित विभिन्न देश कृषि पर दी जाने वाली सब्सिडी को कम करें. भारत में कम दाम पर गरीबों को अनाज दिया जाता है. यदि यह नियम लागू हुआ तो उसके दाम बढ़ाने पड़ेंगे. इससे गरीब जनता को दो वक्त की रोटी के लिए जुगाड़ करना मुश्किल होगा. तीसरा प्रमुख मुद्दा है कोरोना वैक्सीन के पेटेंट का. भारत में धीरे-धीरे कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. तेज वैक्सीनेशन के कारण अब अधिक गंभीर मरीज नहीं आ रहे हैं. फिर भी अभी वैक्सीनेशन का काम जारी है. ऐसे में यदि वैक्सीन पर पेटेंट नियम लागू हो गया, तो इसके दाम बहुत बढ़ जायेंगे. इससे आम लोगों को दिक्कत होगी.
भारत का दावा है कि जिन 80 देशों का उसे समर्थन हासिल है, उनमें विश्व की दो-तिहाई आबादी रहती है. इसलिए इन मांगो को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.