शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 08:30:28 PM
Breaking News
Home / राज्य / गुजरात / मेरा हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है : नरेंद्र मोदी

मेरा हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है : नरेंद्र मोदी

Follow us on:

अहमदाबाद (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्रीय एकता दिवस से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने आरंभ में कल मोरबी में हुई दुर्घटना के हताहतों के प्रति गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यद्यपि वे केवड़िया में हैं, लेकिन उनका हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है। उन्होंने कहा, “एक तरफ हृदय दुख से बोझिल है, वहीं दूसरी तरफ कर्म और कर्तव्य का पथ है।” उन्होंने कहा कि कर्तव्य-पथ और उत्तरदायित्व की भावना उन्हें राष्ट्रीय एकता दिवस में खींच लाई है। प्रधानमंत्री ने उन सभी के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की, जिन्होंने कल की दुर्घटना में अपने प्राण खो दिये हैं।

उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार पीड़ितों के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राज्य सरकार बचाव कार्य में जुटी है और केंद्र सरकार हर संभव सहयोग कर रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सेना और वायुसेना की टीमों के साथ एनडीआरएफ की टीमों को बचाव कार्य में लगाया गया है। साथ ही अस्पतालों द्वारा भी पूरी सहायता दी जा रही है, जहां घायलों का उपचार चल रहा है। उन्होंने इस बात का संज्ञान लिया कि गुजरात के मुख्यमंत्री मोरबी पहुंच गये हैं और बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने घटना की जांच करने के लिये एक समिति भी गठित कर दी है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि बचाव अभियानों में कोई कसर बाकी नहीं रखी जायेगी। इस त्रासदी के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दिया गया।

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 में एकता दिवस की महत्ता को रेखांकित किया, क्योंकि “यह वह वर्ष है, जब हमने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किये हैं और हम नये संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हर स्तर पर एकता जरूरी होती है, चाहे वह परिवार में हो, समाज या राष्ट्र में। उन्होंने कहा कि यह भावना हर जगह 75,000 एकता दौड़ों के रूप में परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा, “पूरा देश सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प से प्रेरणा ग्रहण कर रहा है। हर नागरिक देश की एकता और ‘पंच-प्रण’ का संकल्प ले रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार पटेल जैसे नेताओं के नेतृत्व के बिना हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की कल्पना करना कठिन है। अगर 550 से अधिक रजवाड़ों का विलय न किया जाता, तब क्या हुआ होता?” “क्या हुआ होता?” प्रधानमंत्री ने प्रश्न किया, “अगर हमारे रजवाड़ों ने बलिदान की गहरी भावना और मां भारती में आस्था न व्यक्त की होती”

उन्होंने कहा, “यह असंभव कार्य सरदार पटेल ने पूर्ण किया।” प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा, “सरदार पटेल की जयंती और एकता दिवस हमारे लिये कैलेंडर की तारीखें नहीं हैं, वे भारत की सांस्कृतिक शक्ति का महोत्सव हैं। भारत के लिए एकता कभी मजबूरी नहीं रही, यह हमेशा हमारे देश की विशेषता रही है। एकता हमारी विलक्षणता रही है।” उन्होंने कहा कि कल मोरबी में जो दुर्घटना हुई, उस जैसी आपदा के समय, पूरा देश एक-साथ आगे आ जाता है और देश के हर भाग में लोग प्रार्थना करते हैं, मदद पहुंचाते हैं। महामारी के समय, दवा, राशन और वैक्सीन में सहयोग के मामले में ‘ताली-थाली’ के भावनात्मक मेल के रूप में यह एकता खुलकर प्रकट हुई थी। खेलों में सफलता, उत्सवों के समय और जब हमारी सीमाओं पर खतरा आता है तथा जब हमारे सैनिक सीमाओं की रक्षा में तत्पर होते हैं, तब भी यही भावना दिखाई देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सब भारत की एकता की गहराई का प्रतीक हैं।

नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि यह एकता सदियों से आक्रांताओं को खटकती रही है। आक्रांताओं ने विघटन का बीज बोकर इसे कमजोर करना चाहा, हालांकि एकता के अमृत ने उनकी साजिशों को नाकाम कर दिया; एकता का यह अमृत हमारी चेतन-धारा में मौजूद रहा है। उन्होंने सबसे सावधान रहने को कहा क्योंकि कुछ ताकतें भारत के विकास और प्रगति से जलती हैं और वे जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर विघटन के लिए सक्रिय हैं, प्रयास कर रही हैं। इन प्रयासों के तहत इतिहास को भी विघटनकारी रूप में प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने गुलामी की मानसिकता, स्वार्थ भाव, तुष्टिकरण, भाई-भतीजावाद, लालच और भ्रष्टाचार के प्रति भी सावधान किया, क्योंकि ये सब देश को विभाजित तथा कमजोर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें एकता के अमृत से विघटन के जहर को काटना होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “एकता दिवस के अवसर पर, मैं सरदार साहब द्वारा हमें सौंपे गये दायित्व को फिर से दोहराना चाहता हूं।” उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता को मजबूत करने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है और यह तभी संभव होगा, जब देश का हर नागरिक जिम्मेदारी की भावना के साथ कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “जिम्मेदारी की भावना, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास वास्तविकता बनेगा तथा भारत विकास-पथ पर आगे बढ़ेगा।” उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएं बिना किसी भेदभाव के देश के हर व्यक्ति तक पहुंच रही हैं। उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जिस तरह से सूरत, गुजरात के लोगों तक आसानी से मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध है, उसी तरह अरुणाचल प्रदेश के सियांग के लोगों को भी मुफ्त वैक्सीन उसी आसानी के साथ उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे मेडिकल संस्थान अब केवल गोरखपुर में ही नहीं, बल्कि बिलासपुर, दरभंगा, गुवाहाटी, राजकोट और देश के अन्य भागों में भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि रक्षा गलियारे का विकास कार्य न केवल तमिलनाडु में, बल्कि उत्तरप्रदेश में भी पूरे जोर-शोर से चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सरकारी योजनाएं पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को जोड़ते हुए भारत के हर भू-भाग तक पहुंच रही हैं।

देश के लाखों लोग किस तरह से बुनियादी जरूरतों के लिए दशकों से प्रतीक्षा करते रहे, इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “अवसंरचना में अंतराल जितना कम होगा, एकता उतनी मजबूत होगी।” उन्होंने कहा कि भारत सबको समाविष्ट करने के सिद्धांत पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य है कि हर योजना का लाभ हर लाभार्थी तक पहुंचे। प्रधानमंत्री ने सबके लिये आवास, सबके लिये डिजिटल कनेक्टिविटी, सबके लिये स्वच्छ ईंधन, सबके लिये बिजली जैसी योजनाओं का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि शत-प्रतिशत नागरिकों तक पहुंचने का मिशन इस तरह की सुविधाएं देने तक सीमित नहीं है, बल्कि जोर संयुक्त लक्ष्य, संयुक्त विकास और संयुक्त प्रयास के साझा उद्देश्य पर है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित करते हुए कहा कि जीवन की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति देश के प्रति आम आदमी के विश्वास का माध्यम बन रही है तथा संविधान भी आम आदमी के आत्मविश्वास के माध्यम के रूप में काम कर रहा है। भारत के लिए सरदार पटेल की इस परिकल्पना का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हर भारतवासी के लिये समान अवसर होंगे, और समानता की भावना पैदा होगी। आज देश इस परिकल्पना को साकार होते देख रहा है।”

मोदी ने अतीत का हवाला दिया कि पिछले आठ वर्षों में देश ने हर उस क्षेत्र को प्राथमिकता दी है, जिन्हें दशकों तक उपेक्षित रखा गया। उन्होंने कहा कि देश ने जनजातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू कर दी है, ताकि हम जनजातियों के गौरव को याद कर सकें। इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री ने बताया कि देश के कई राज्यों में जनजातीय संग्रहालय बनाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे मनगढ़ धाम और जम्बूगोधा के इतिहास को जानें। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा किए जाने वाले कई नरसंहारों का सामना करते हुए आजादी मिली है। उन्होंने कहा, “तब कहीं हम आजादी का मूल्य और एकता का मूल्य जान पायेंगे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता नगर भारत के एक आदर्श शहर के रूप में विकसित हो रहा है, जो न केवल देश में, बल्कि पूरे विश्व में अभूतपूर्व होगा। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि यह लोगों और शहर की एकता है, जो जन भागीदारी की ताकत पर विकसित हो रही है; लोगों की एकता से, जनभागीदारी की शक्ति से विकसित होता एकता नगर, आज भव्य भी हो रहा है और दिव्य भी हो रहा है। नरेन्द्र मोदी ने कहा, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा की प्रेरणा हमारे बीच है।”

एकता नगर के विकास मॉडल पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी मॉडल शहर की बात होगी, एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में बिजली बचाने वाले एलईडी से प्रकाशित किसी आदर्श शहर, सौर ऊर्जा से चलने वाले क्लीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात आएगी, पशु-पक्षियों के, विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं के संरक्षण की बात होगी, तो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। प्रधानमंत्री ने कल की बात याद की जब उन्हें मियावाकी फॉरेस्ट और मेज गार्डेन का लोकार्पण करने का अवसर मिला था। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि एकता मॉल, एकता नर्सरी, विविधता में एकता को प्रदर्शित करने वाला विश्व वन, एकता फेरी, एकता रेलवे स्टेशन, ये सारे उपक्रम, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की प्रेरणा हैं।

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता-उपरान्त देश की एकता में सरदार साहब की भूमिका को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि सदियों तक राज करने वाले शाही परिवारों ने कर्तव्य भावना के साथ देश की एकता की नई व्यवस्था के लिए अपने अधिकारों का बलिदान कर दिया, जिसका कारण सरदार पटेल का प्रयास था। आजादी के बाद दशकों तक शाही परिवारों के इस योगदान की उपेक्षा की जाती रही। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन शाही परिवारों के बलिदान के प्रति समर्पित एक संग्रहालय एकता नगर में बनाया जायेगा। ये देश की एकता के लिए त्याग की परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाएगा।”

पृष्ठभूमिः

प्रधानमंत्री की परिकल्पना से प्रेरित होकर 2014 में यह निर्णय किया गया था कि 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती मनाई जायेगी, ताकि देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा उसे कायम रखने के प्रति अपने समर्पण भाव पर जोर दिया जाये। प्रधानमंत्री ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस समारोहों में हिस्सा लिया। समारोह में राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का आयोजन किया गया, जिसमें बीएसएफ, उत्तरी क्षेत्र (हरियाणा), पश्चिमी क्षेत्र (मध्यप्रदेश), दक्षिणी क्षेत्र (तेलंगाना), पूर्वी क्षेत्र (ओडिशा) और उत्तर-पूर्व क्षेत्र (त्रिपुरा) से एक-एक दल सहित पांच राज्यों के पुलिस बलों के दल शामिल थे। दलों के सम्मिलित होने के अलावा राष्ट्रमंडल खेल 2022 में छह पुलिस खेल पदक विजेता भी परेड में सम्मिलित होंगे।

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

बारिश और बाढ़ के बाद अब गुजरात में चक्रवात असना का खतरा

अहमदाबाद. गुजरात में भारी बारिश और बाढ़ के बीच अरब सागर से आगे बढ़ रहा चक्रवात …