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एसटीईएमआई परियोजना डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य नवोन्‍मेष के मॉडल के रूप में प्रस्तुत

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पणजी (मा.स.स.). गोवा में जी20 स्वास्थ्य कार्य समूह की होने वाली दूसरी बैठक से पहले, केन्‍द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गोवा सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के साथ मिलकर 17-19 अप्रैल, 2023 को एल्डोना में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केन्‍द्र के एक विशेष दौरे का आयोजन किया है। गोवा की टीकाकरण उपलब्धियां और एसटीईएमआई परियोजना का कार्यान्वयन राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधिमंडल के सामने प्रस्तुत किया गया।एसटीईएमआई-गोवा परियोजना की शुरूआत गोवा सरकार ने आधुनिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्य प्रणाली और आधुनिक टेक्‍नोलॉजी को अपनाकर गैर-संचारी रोगों से होने वाली समय से पूर्व मौतों को कम करके एक तिहाई करने के उद्देश्‍य से ट्रिकोग हैल्‍थ सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरू के सहयोग से की थी।

एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एसटीईएमआई) एक प्रकार का दिल का दौरा है जब दिल के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। परियोजना के तहत, एक हब और स्पोक मॉडल रखा गया है जहां कैथ लैब सुविधाओं वाला कोई भी तृतीयक देखभाल अस्पताल हब के रूप में कार्य करता है, जबकि एसटीईएमआई परियोजना के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहचान की जाती है ताकि रेफरल से पहले रोगी को स्थिर किया जा सके। हर स्पोक टेली-ईसीजी सुविधा से जुड़ी एक ट्राइकॉग ईसीजी मशीन और कार्डियोनेट ऐप से लैस है जो डेटा को बेंगलुरु में हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम से जोड़ता है। यह सुनिश्चित करता है कि 5 मिनट के भीतर ईसीजी रिपोर्ट आ जाए। इस परियोजना में, यदि आवश्यक हो तो मरीज को स्‍पोक से हब में रैफरल के लिए, मरीज के स्थानांतरण की लाइव ट्रैकिंग के साथ कार्डियक एम्बुलेंस के प्रावधान भी हैं।

इस मॉडल के साथ दिल के दौरे के रोगी के इलाज के लिए औसत समय कम हो जाता है और उसे 90 मिनट के ‘सुनहरे घंटे’ के करीब ले आया जाता है, जिससे अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह परियोजना शुरू में एक सरकारी हब और स्‍पोक वाले 12 मौजूदा कम्‍प्‍यूटर उपकरणों वाले सरकारी अस्पतालों के साथ शुरू की गई थी, और अब इसका 4 हब और 20 स्‍पोक तक विस्तार किया गया है। राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित टीकाकरण कार्यक्रम को अल्डोना पीएचसी के मोइरा उप केन्‍द्र में भी प्रदर्शित किया गया। यह प्रणाली एक सुव्यवस्थित और प्रभावी तकनीक का एक उत्कृष्ट उदाहरण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक बच्चे का समय पर टीकाकरण हो।

इस मॉडल के तहत एक बच्चे के जन्म के बाद, उनके टीकाकरण कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए डिजिटल और प्रिंट रिकॉर्ड बनाकर रखा जाता है। बच्चे के माता-पिता को फोन कॉल के माध्यम से आने वाली खुराक के बारे में याद दिलाया जाता है। यदि माता-पिता शहर से बाहर हैं, तो उन्हें सलाह दी जाती है कि वे टीका लगवाने के लिए निकटतम स्वास्थ्य केन्‍द्र पर जाएँ अथवा स्‍वास्थ्य केन्‍द्र पर आने पर खुराक दी जाएगी। यूनिसेफ के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगेश ने टीकाकरण सेवाओं के महत्व पर प्रकाश डाला कि कैसे वे स्वास्थ्य सुविधाओं और समुदायों को जोड़ने में एक सेतु के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि टीकाकरण पहुंच कार्य गांवों और शहरी मलिन बस्तियों में भी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को मजबूत करने में योगदान कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त करने और स्वास्थ्य पर केन्‍द्रित स्‍थायी विकास लक्ष्यों को गति देने की दिशा में छूटे हुए/ड्रॉप-आउट बच्चों तक पहुंचने में भारत सरकार के टीकाकरण कार्यक्रमों का समर्थन करता है।

मीडिया प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए, स्वास्थ्य सचिव, गोवा सरकार, अरुण मिश्रा ने कहा कि गोवा स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जुलाई तक राज्य की पूरी आबादी को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खातों के तहत शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि गोवा में टेलीमेडिसिन सेवाओं का अधिक उपयोग यह स्थापित करता है कि राज्य में डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का एक कुशल मॉडल मौजूद है। भारत की जी20 की अध्‍यक्षता ने स्वास्थ्य पथ में तीन प्राथमिकताओं की पहचान की है, अर्थात् स्वास्थ्य आपात स्थिति की रोकथाम और तैयारी; फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना और डिजिटल स्वास्थ्य नवाचार और समाधान। मीडिया टूर ने यह प्रदर्शित करने में मदद की है कि गोवा में चिकित्सा सेवाएं कैसे स्वास्थ्य पथ के तहत भारत की जी20 प्राथमिकताओं को प्राप्त करने की दिशा में एक उदाहरण स्थापित कर रही हैं।

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