नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को चांद पर इंसान भेजने की दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 के तहत चांद पर उतारे गए लैंडर विक्रम ने एक सफल प्रयोग किया है. लैंडर ने कमांड पर अपना इंजन चालू करके लिफ्ट ऑफ किया और कुछ दूरी पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया.
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, विक्रम लैंडर अपने मिशन उद्देश्यों से आगे निकल गया है. इसने सफलतापूर्वक हॉप एक्सपेरीमेंट (उछाल मारना) पूरा किया. इसरो ने बताया कि आदेश मिलने पर, इसने इंजन चालू कर दिए, उम्मीद के मुताबिक खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उठाया और 30-40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित रूप से उतर गया.
मानव मिशन की दिशा में बड़ा कदम
इसरो ने इस प्रयोग को महत्वपूर्ण ‘किक-स्टार्ट’ बताते हुए आगे कहा, ये भविष्य के नमूना वापसी और मानव मिशनों के लिए उत्साहित करता है! इसरो ने बताया कि सभी सिस्टम ने अच्छी तरह से काम किया और लैंडर स्वस्थ है. प्रयोग के बाद तैनात रैंप, चेस्ट (ChaSTE) और आईएलएसए को वापस मोड़ा गया था और सफलतापूर्वक फिर से तैनात किया.
क्यों खास है ये उपलब्धि ?
चांद पर मानव मिशन भेजने में सबसे बड़ी मुश्किल वहां उतरने के बाद इंसान की धरती पर वापसी है. दरअसल, चांद पर उतरने के बाद वापस आने के लिए वहां मौजूद यान को चांद की सतह से प्रक्षेपित करके चांद के ऑर्बिट तक पहुंचाना होता है. जहां दूसरा मॉड्यूल उसका इंतजार कर रहा होता है. यहां दोनों को कनेक्ट कर दिया जाता है और फिर वापस पृथ्वी की यात्रा शुरू होती है. अमेरिका की तरफ से भेजे गए अपोलो मिशनों में इसी प्रक्रिया को अपनाया गया था. इसरो का लक्ष्य भी भविष्य में चांद पर इंसानों को भेजना है. चंद्रयान-3 के लैंडर ने सतह से ऊपर उठकर इसरो की उम्मीद को पंख दिए हैं. इस प्रयोग ने साबित किया है कि इसरो भी चांद पर अपने यान को लिफ्ट ऑफ कराने की क्षमता रखता है.
साभार : एबीपी न्यूज़
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