वाशिंगटन. अमेरिकी संसद के निचले सदन में शुक्रवार को सरकार को अस्थायी रूप से फंडिंग के लिए लाया गया विधेयक खारिज हो गया. इस बिल के खारिज होने से अब देश में एक अक्टूबर से शटडाउन लागू होने का संकट बढ़ गया है. अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा ने सरकार को 30 दिनों के लिए फंड देने के लिए लाए गए विधेयक को 232-198 मतों के अंतर से यह विधेयक खारिज हो गया. यह विधेयक रिपब्लिकन सांसदों द्वारा लाया गया था.
संयुक्त राज्य अमेरिका में , सरकारी शटडाउन तब लागू होता है जब संघीय सरकार को वित्त देने के लिए आवश्यक फंडिंग कानून अगले वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले अधिनियमित नहीं किया जाता है. शटडाउन में, संघीय सरकार एजेंसी की गतिविधियों और सेवाओं में कटौती करती है, गैर-आवश्यक संचालन बंद कर देती है, गैर-आवश्यक कर्मचारियों को छुट्टी दे देती है, और मानव जीवन या संपत्ति की रक्षा करने वाले विभागों में केवल आवश्यक कर्मचारियों को ही रखती है. शटडाउन राज्य , क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर की सरकार को भी बाधित कर सकता है .
सरकार को इन कामों के लिए अपनी जरूरी स्कीम्स को जारी रखने के लिए जो पैसे की जरूरत होती है, उसे वह कर्ज के तौर पर लेती है. इस कर्ज के लिए अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस (US Congress) की मंजूरी चाहिए होती है जिसके लिए पहले पक्ष और विपक्ष यानी डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी में आपसी सहमति जरूरी है लेकिन इस बात ऐसा नहीं होता दिख रहा.
क्यों अड़ा है विपक्ष?
विपक्ष का कहना है कि ऐसी जनकल्याणकारी योजनाएं, जो कहीं न कहीं गैर जरूरी हैं उन्हें रोकना चाहिए और खर्च में कटौती करनी चाहिए. रिपब्लिकन सांसद चाहते हैं कि सरकारी खर्च में कटौती के साथ आप्रवासन और सीमा सुरक्षा प्रतिबंध लगाए जाएं. अगर सत्ता पक्षा और विपक्ष में समझौता नहीं होता है तो फिर अमेरिका में शटडाउन हो सकता है.
दोनों पार्टियों के बीच फंडिंग प्लान पर एकमत होने की संभावना कम ही नजर आ रही अगर 30 सितंबर 2023 तक ये नहीं होता है, तो फिर देश को 1 अक्टूबर 2023 से शटडाउन का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि सीनेट 17 नवंबर तक सरकार को वित्त पोषित करने के लिए इस तरह का एक विधेयक आगे बढ़ा रही है. प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी ने रिपब्लिकन समर्थित विधेयक के खारिज होने के बाद कहा कि उनके पास और भी उपाय हैं. हालांकि, उन्होंने नए उपायों की जानकारी साझा नहीं की. मैक्कार्थी खुद रिपब्लिकन पार्टी से आते हैं.
साभार : जी न्यूज़
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