नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली दंगा (Delhi Riots 2020) के आरोपी शाहरुख पठान की जमानत याचिका रद्द कर दी है. शाहरुख पठान (Shahrukh Pathan) पर साल 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली दंगा के दौरान एक पुलिसकर्मी पर पिस्तौल तानने और उसे जान से मारने की धमकी देने का आरोप है. अपने इस हरकत की वजह से पठान तीन साल पहले सुर्खियों में रहा था. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने अपनी चार्जशीट में उन्हें भी दिल्ली दंगे में कुछ प्रमुख आरोपियों में शामिल किया था. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में पठान का नाम शामिल है.
हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत गुरुवार को पठान की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी मार्च 2020 से हिरासत में था और लगभग 90 गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है. उसे अनंत काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता. न्यायिक हिरासत के दौरान जेल में आरोपी के आचरण, गिरफ्तार होने से पहले उसके आचरण, अदालती कार्यवाही के दौरान आचरण और सबसे महत्वपूर्ण बात आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों, प्रत्यक्षदर्शियों और वीडियो फुटेज को ध्यान में रखते हुए अदालत को इसमें कुछ खास परिणाम सामने आने की संभावना कम है.
जमानत न मिलने के लिए अभियोजन पक्ष जिम्मेदार नहीं
बता दें कि यह सातवीं बार है जब शाहरुख पठान की जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि वर्तमान मामला 24 फरवरी, 2020 को जाफराबाद में सांप्रदायिक दंगों के दौरान पठान द्वारा दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल पर पिस्तौल लहराने और गोली चलाने से संबंधित है. अदालत ने कहा कि पठान के खिलाफ आरोप तय होने के बाद से मामले में देरी के लिए अभियोजन पक्ष की कोई गलती नहीं है.
ये है जमानत मिलने की वजह
पठान को जमानत मिलने में देरी सह-आरोपी व्यक्तियों द्वारा अदालत की तारीखों पर जान बूझकर अनुपस्थित रहना है. एक आरोपी कलीम अहमद द्वारा दोष स्वीकार करने के कारण अब सजा पर बहस भी जरूरी है. देरी का एक अन्य कारण सह-अभियुक्त बाबू वसीम का पेश न होना था. वह फरार हो गया था और बाद में उसे उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया गया था.
साभार : एबीपी न्यूज़
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं