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मेरा नामांकन रद्द होने के पीछे का कारण कांग्रेस के ही नेता : नीलेश कुंभाणी

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अहमदाबाद. गुजरात लोकसभा चुनावों की वोटिंग से पहले नामांकन रद्द होने के बाद गायब हुए नीलेश कुंभाणी 27 दिनों के सामने आए हैं। नीलेश कुंभाणी का पर्चा खारिज होने के बाद बीजेपी ने सूरत लोकसभा सीट पर निर्विरोध जीत हासिल की थी। बीजेपी के कैंडिडेट मुकेश दलाल निर्विरोध चुने गए थे। कुंभाणी ने सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी और अपने विरोधियों पर तीखा हमला बोला है। कुंभाणी ने कांग्रेस नेता प्रताप दुधात की चुनौती पर कहा है कि कोई माई का लाल नहीं है जो मुझे मार सके। कुंभाणी ने नामांकन रद्द होने पर कहा है कि मैंने कांग्रेस पर 2017 का बदला लिया है। कुंभाणी ने कहा कि 2017 में कांग्रेस ने मुझे टिकट देकर वापस ले ली थी। मैंने कांग्रेस के पांच नेताओं की वजह से यह सब किया ।

मैं हाईकोर्ट गया था लेकिन…

कुंभाणी ने अपनी गुमशुदगी के बारे में कहा कि मैं नामांकन रद्द होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका डालने के लिए गया था, कि तभी कांग्रेस के नेताओं ने मेरे घर पर विरोध शुरू कर दिया, इसलिए मैं गायब हो गया। कुंभाणी ने कहा कि कांग्रेस में रहना या नहीं। राजनीति करनी है या फिर नहीं। इसके बाद में अगले कुछ दिनों में फैसला लूंगा। कुंभाणी ने कहा कि मैंने कोरोना काल में कांग्रेस के नाम पर सेवा की थी। केवल पांच लोग हैं जिन्होंने मेरा विरोध किया। ये नेता मेरी किसी बैठक में नहीं आये। इसके बाद मैंने कांग्रेस को धोखा देने को मजबूर हुआ। कुंभाणी ने कहा कि वह बीजेपी के संपर्क में नहीं थे।

मैं सौराष्ट्र में अपने घर पर था कुंभाणी ने कहा जब से कांग्रेस ने मुझे टिकट दिया तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मेरा समर्थन नहीं किया। डोर टू डोर कैंपेन में कोई साथ नहीं आया। अब तक मैं सौराष्ट्र में अपनी वाडी और घर में था। उन्होंने कहा कि मैं अहमदाबाद जा रहा था और जब मैं कर्जन पहुंचा तो कांग्रेस नेता ने मेरे घर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुंभाणी ने कहा कि मेरा बीजेपी से कोई संबंध नहीं है। कुंभाणी ने नामांकन खारिज होने का ठीकरा भी कांग्रेस के सिर पर फोड़ा है। कुंभाणी ने कहा कि मैं बीजेपी की नहीं अपनी कार से गया था।धक्का लगने से बचने के लिए वह पिछले दरवाजे से चला गया। मेरे समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ता थे। मेरा फॉर्म कांग्रेस एडवोकेट ने भरा था। मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता। सूरत में कांग्रेस कैंडिडेट के तौर नामांकन रद्द होने और फिर लापता होने के पांचवें दिन कांग्रेस पार्टी ने कुंभाणी को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था।

साभार : नवभारत टाइम्स

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