ढाका. बांग्लादेश में उत्पातियों का हंगामा जारी है और यह कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बांग्लादेश के मयमन सिंह जिले में मुसलमानों की भीड़ ने बाउल संगीत कार्यक्रम के दौरान अचानक हमला कर दिया. उन लोगों ने वहां मौजूद गायकों को पीटा और अल्लाह हू अकबर के नारे भी लगाए.
मयमन सिंह जिले में एक दिन पहले बाउल संगीत समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान संगीत का कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी मुस्लिम कट्टरपंथियों को लगी तो वो आयोजन स्थल पर पहुंच गए और उन्होंने हमला कर दिया. सैकड़ों की संख्या में आयोजन स्थल पर पहुंचे मुस्लिम कट्टरपंथियों (मदरसा के छात्र) ने गायकों और आयोजकों को जमकर पीटा. वहां पर रखी कुर्सियों और वाद्ययंत्रों को निर्ममता के साथ तोड़ दिया.
आधी रात को किया हमला
संगीत कार्यक्रम में 4 महिला गायकों सहित स्थानीय बाउलों के एक ग्रुप ने हिस्सा लिया. घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रात करीब 11:30 बजे मदरसा के कुछ छात्रों ने कार्यक्रम पर हमला कर दिया. उन्होंने मंच पर जमकर हंगामा काटा और तोड़फोड़ की. साथ ही साउंड सिस्टम और कुर्सियों में तोड़ दिया. स्थानीय लोगों ने बताया कि इसके बाद में तड़के करीब 3 मदरसे के छात्र फिर से वहां पर आए और दरगाह में तोड़फोड़ की. एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि दरगाह से जुड़े लोग हमलों के डर से वहां से चले गए.
हमले में महिला कलाकार समेत कई घायल
वहीं नाम नहीं बताने की शर्त पर एक कव्वाली कलाकार ने बताया कि उपद्रवी मदरसे के छात्रों ने बिना किसी चेतावनी के हमला कर दिया. कलाकार ने कहा, “अगर उन्होंने आयोजन से पहले हमें चेतावनी दी होती, तो हम कार्यक्रम रोक सकते थे.” उन्होंने कहा कि दरगाह के 149 साल के इतिहास में यह पहला हमला था. जबकि कव्वाली कार्यक्रम का 119वां संस्करण था. हमले की वजह से एक महिला कलाकार सहित कई लोग घायल हो गए. उन्हें शुरुआती उपचार कराया गया. घटना को लेकर कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी मोहम्मद शफीकुल इस्लाम खान ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और हमलावरों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है और कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.
क्या होता है बाउल
स्थानीय लोगों का कहना है कि हजरत शाह सूफी सैयद कालू शाह मजार शरीफ की ओर से समा कव्वाली के लिए आयोजित सालाना मिलाद और दुआ महफिल के उपलक्ष्य में कव्वाली कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. यह कार्यक्रम रात 9:30 बजे शुरू हुआ और यह दरगाह के बगल में चल रहा था, जो कोतवाली पुलिस स्टेशन के सामने है. बाउल एक प्रकार का लोक गायन है, इसे गाने वाले को बंगाल में बाउल कहा जाता है. इसी बाउल का दूसरा रूप भाट होता है जो ज्यादातर राजस्थान और मध्य-प्रदेश में पाए जाते हैं. जबकि उत्तर-प्रदेश में इसे फकीर या जोगी कहा जाता है. सामान्यतौर पर आउल, बाउल, साई, फकीर, जोगी, दरबेस और भाट बाउल के ही रूप है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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