शनिवार, दिसंबर 06 2025 | 05:41:36 PM
Breaking News
Home / राज्य / जम्मू और कश्मीर / उमर अब्दुल्ला सरकार चलाएगी जमात-ए-इस्लामी से जुड़े 215 स्कूल

उमर अब्दुल्ला सरकार चलाएगी जमात-ए-इस्लामी से जुड़े 215 स्कूल

Follow us on:

जम्मू. देश भर में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की स्कीम चलाई जा रही है. जम्मू कश्मीर में भी सरकार की कोशिश है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. इसी के तहत जम्मू कश्मीर आज सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जमात-ए-इस्लामी और उससे संबंधित फलाह-ए-आम ट्रस्ट से संबद्ध 215 स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है. इन स्कूलों को लेकर खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट की थी जिसमें अधिकारियों ने स्कूलों के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की सुरक्षा की आवश्यकता का हवाला दिया था. जानें पूरा मामला.

टीमों ने शुरू किया दौरा

सरकार के मुताबिक खुफिया एजेंसियों द्वारा प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी/एफएटी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबद्ध कई स्कूलों की पहचान के बाद यह अधिग्रहण का आदेश दिया गया है. कल जारी किए गए इस आदेश के बाद से 23 अगस्त, 2025 यानि की आज से जिला प्रशासन की टीमों ने पुलिस और सीआरपीएफ के साथ मिलकर कश्मीर घाटी में इन स्कूलों का प्रबंधन संभालने के लिए दौरा करना शुरू कर दिया है. प्रशासनिक टीमों के साथ आस-पास के स्कूलों के प्रधानाचार्यों सहित अधिकारी भी मौजूद थे. सरकार ने स्कूलों की प्रबंध समिति के कार्यकाल की समाप्ति और खुफिया एजेंसियों की प्रतिकूल रिपोर्टों का हवाला देते हुए इस कदम को उचित ठहराया है. आदेश में इलाके के डिप्टी कमिश्नर को स्कूलों का प्रभार संभालने और उचित सत्यापन के बाद नई प्रबंध समितियों का प्रस्ताव देने का निर्देश दिया गया है. उन्हें यह सुनिश्चित करने का भी काम सौंपा गया है कि छात्रों का शैक्षणिक करियर बाधित न हो. अधिकारियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मानदंडों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की भी आवश्यकता है.

शुरू हुई सियासत

इस अधिग्रहण ने नव निर्वाचित उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के नेतृत्व वाले प्रशासन के बीच राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. आदेश में कही गई बातों का यूटी शिक्षा मंत्री ने खंडन किया है. शिक्षा मंत्री सकीना इटू ने स्पष्ट किया कि मूल प्रस्ताव पूर्ण अधिग्रहण का नहीं था. उन्होंने कहा कि नई प्रबंधन समितियों के गठन तक निकटतम क्लस्टर प्रधानाचार्य अस्थायी रूप से स्कूलों की देखरेख करेंगे. उन्होंने बताया कि इन स्कूलों की प्रबंधन समितियों का सीआईडी ​​​​रिपोर्ट एडवर्स रहा था, जिससे हजारों छात्र अपनी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर अधर में लटके हुए हैं. इसके अलावा कहा कि इस मुद्दे पर विभाग के भीतर एक बैठक हुई थी, लेकिन यह निर्णय लिया गया कि स्कूलों का प्रबंधन उपायुक्तों के बजाय निकटवर्ती स्थानीय प्रधानाचार्यों द्वारा किया जाएगा. जो सीधे तौर पर स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव, जो एलजी को रिपोर्ट करते हैं, द्वारा जारी आदेश के विपरीत है. इससे निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल प्रशासन के बीच संभावित विभाजन का पता चलता है.

जम्मू-कश्मीर की शिक्षा मंत्री ने कही ये बात

सकीना इटू जम्मू-कश्मीर की शिक्षा मंत्री ने बयान में कहा, “सरकार द्वारा स्कूलों को स्थायी रूप से अपने नियंत्रण में लेने की अफवाहें हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मूल प्रस्ताव, जिसे मंज़ूरी दी गई थी, क्लस्टर प्रधानाचार्यों द्वारा अस्थायी रूप से स्कूलों की देखरेख करने का था, न कि उपायुक्तों (डीसी) द्वारा उन्हें पूरी तरह से अपने नियंत्रण में लेने का. मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने यह कहते हुए एक “गलत आदेश” जारी किया कि डीसी स्कूलों का संचालन करेंगे, जो उनकी मंज़ूरी में नहीं था. सकीना इटू ने आगे कहा कि 51,000 से ज़्यादा छात्रों के करियर की सुरक्षा के लिए यह अस्थायी व्यवस्था ज़रूरी थी. इन स्कूलों की प्रबंधन समितियों का कार्यकाल समाप्त हो चुका था और पहले भी इनका सीआईडी ​​रिपोर्ट नेगेटिव रहा था, जिससे बोर्ड परीक्षाओं के दौरान छात्रों को परेशानी हुई थी. नए सीआईडी ​​रिपोर्ट के बाद नई प्रबंधन समितियों के गठन तक सरकार तीन महीने तक स्कूलों की देखभाल करेगी. इस दौरान कर्मचारी, छात्र और बुनियादी ढांचा वही रहेगा.

बीजेपी ने किया स्वागत

वहीं भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और फलाह-ए-आम ट्रस्ट से संबद्ध स्कूलों को अपने नियंत्रण में लेने के सरकार के कदम का स्वागत किया है. पार्टी ने उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बच्चों के भविष्य की रक्षा और शिक्षा प्रणाली में चरमपंथी विचारधाराओं पर अंकुश लगाकर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए यह कार्रवाई ज़रूरी है.

महबूबा मुफ्ती ने की आलोचना

हालांकि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और उसके सहयोगी फलाह-ए-आम ट्रस्ट (एफएटी) से जुड़े स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने की आलोचना की. मुफ़्ती ने कहा कि यह फैसला हमारी शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला है. उन्होंने उमर सरकार की भी आलोचना करते हुए कहा कि मुझ पर भी दबाव डाला गया था, लेकिन मैं दबाव में नहीं आई. अगर शिक्षा मंत्री यह कह रही हैं कि जो बात हुई थी, वह मूल नहीं है, तो उन्हें यह आदेश रद्द कर देना चाहिए.

महबूबा मुफ़्ती ने कहा, “सरकार द्वारा अधिग्रहित फलाई आवाम 215 हमारी पहचान और हमारी शिक्षा व्यवस्था पर एक और हमला है. बहुत कम स्कूल ऐसे हैं जो इस्लामी शिक्षा के साथ नियमित शिक्षा देते हैं और कोई भी अन्य स्कूल इसे संतुलित नहीं कर पा रहा है. पहले उन्होंने जमात इस्लामी की सारी संपत्ति और अब स्कूलों पर कब्ज़ा कर लिया. इसीलिए नेशनल कॉन्फ्रेंस को भारी जनादेश दिया गया ताकि यह सब रोका जा सके क्योंकि कश्मीर के सभी लोगों ने एक ही पार्टी को वोट दिया था ताकि यह पार्टी इसे रोक सके. वे हमारी उर्दू भाषा को खत्म कर रहे हैं, वे हमारे कैरिकुलम को बदल रहे हैं और सरकार चुप है और इस बार सरकार भी इसमें शामिल है. जब मैं सरकार में थी, तब मुझ पर भी जमात इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का दबाव डाला गया था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने उस समय कठुआ मामले में भी अपना पक्ष रखा था. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनादेश होने के बावजूद वे ये फैसले ले रहे हैं. अगर शिक्षा मंत्री कहती हैं कि जो तय हुआ था, वही आदेश नहीं दिया गया है, तो उन्हें इसे रद्द कर देना चाहिए.

साभार : जी न्यूज

भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

सारांश कनौजिया की पुस्तकें

ऑडियो बुक : भारत 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि)

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

जम्मू-कश्मीर में मिले एक बिलियन टन चूना पत्थर के भंडार से 1500 करोड़ रुपए के राजस्व की संभावना

जम्मू। जम्मू-कश्मीर में खनिज क्षेत्र को नई गति देते हुए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसआइ) ने अनुमान …