गंगटोक (मा.स.स.). केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज सिक्किम की राजधानी गंगटोक में ईस्टर्न एंड नॉर्थ-ईस्टर्न कोऑपरेटिव डेयरी कॉन्क्लेव 2022 (Eastern and North-Eastern Zones Cooperative Dairy Conclave 2022) का उद्घाटन किया। एक अन्य कार्यक्रम में अमित शाह ने गंगटोक के राजभवन में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद और मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र डेयरी सहकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक हिमालयन राज्य में 15 साल पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि देश भर की सहकारिता डेयरी कॉन्क्लेव यहां हो सकती है। उन्होंने कहा कि दूध उत्पादन ही महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन और किसान की आय दोगुना करने का एकमात्र रास्ता है और सिक्किम में छोटे छोटे किसान भाइयों द्वारा प्रतिदिन दो लाख लीटर दूध उत्पादन देखकर मन को बहुत शांति मिलती है और आनंद की अनुभूति होती है। शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने हर पंचायत के अंदर एक मल्टीपर्पज पैक्स (PACS) की योजना बनाई है जो डेयरी, एफपीओ, कृषि और गैस उत्पादन के वितरण का काम करेंगी। साथ ही एलपीजी वितरण और जहां जरूरत है वहां पेट्रोल पंप और भंडारण की व्यवस्था तथा मार्केटिंग की व्यवस्था भी करेंगी। पैक्स गांव में पीसीओ के माध्यम से सिक्किम जैसे पहाड़ी राज्य के गाँवों को पूरी दुनिया के साथ जोड़ने का भी काम करेंगी। उन्होने कहा कि भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने इस प्रकार के मल्टीपर्पज और मल्टीडाइमेंशनल पैक्स की योजना बनाई है।
अमित शाह ने कहा कि बहुत सालों से देश में एक बहुत बड़ी मांग सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से गरीबी उन्मूलन, किसानों, मछुआरों, हैंडीक्राफ्ट कारीगरों को और लाखों- करोड़ों आदिवासियों के सशक्तिकरण करने की थी और इसे पूरा करने के लिए ही सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई है। शाह ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद करना चाहते हैं कि उन्होंने देश के सहकारिता आंदोलन की 70 साल पुरानी मांग को पूरा कर सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की। अमित शाह ने कहा कि सहकारिता में बहुत संभावनाएं हैं और कोऑपरेटिव सेक्टर गुजरात की जीडीपी का एक बहुत मजबूत स्तंभ है। गुजरात में सिर्फ अमूल फेडरेशन के माध्यम से 36 लाख महिलाओं को 56,000 करोड़ रुपए की सालाना इनकम होती है। उन्होने कहा कि पूर्वोतर का स्विट्जरलैंड कहा जाने वाला हमारा सिक्किम राज्य सिर्फ खूबसूरती के लिए न जाना जाए बल्कि हर गांव को समृद्ध कर इसे एक समृद्ध और विकसित राज्य के रूप में आगे ले जाना है।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि सदियों से भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में पशुपालन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है और एक जमाने में हमारे देश में दूध और घी की नदियां बहती थीं। पहले पशुपालन हमारे देश का एक बहुत महत्वपूर्ण उद्योग था लेकिन गुलामी के कालखंड और आजादी के बाद भी किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और धीरे धीरे यह समाप्त हो गया। शाह ने कहा कि श्वेत क्रांति के बाद आज एक ऐसी नींव तैयार है जिस पर एक भव्य इमारत खड़ी कर डेयरी को सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि हर पंचायत तक पहुंचाकर किसान की समृद्धि का माध्यम बनाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि डेयरी एक ऐसा उद्योग है जिसके माध्यम से अनेक उद्देश्य सिद्ध होते हैं। डेयरी बनाने के साथ ही हजारों करोड़ों बच्चों के पोषण की व्यवस्था बनती है। शाह ने कहा कि विश्व में हमारा प्रतिव्यक्ति दूध उत्पादन अभी भी संतोषजनक नहीं है और जब तक इसको नहीं बढ़ाया जाता इतने बड़े देश में पोषण की समस्या रहेगी। डेयरी पोषण की समस्या हल करती है क्योंकि पशुपालन का काम करते हुए डेयरी में अपना दूध बेचने वाली महिला के हाथ में जब एक चेक आता है तब परिवार समृद्ध होता है और गरीबी भी दूर हो जाती है। उन्होने कुपोषण, महिला सशक्तिकरण और गरीबों के लिए काम करने वाली एनजीओ से डेयरी पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा क्योंकि डेयरी से बड़ा महिला सशक्तिकरण का और कोई काम नहीं हो सकता।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि डेयरी के साथ जो गैस उत्पादन होता है वह पर्यावरण की मदद करता है, गोबर प्राकृतिक खेती में मदद में करता है और प्राकृतिक खेती मनुष्य के स्वास्थ्य में सुधार करती है। उन्होंने कहा कि डेयरी की व्यवस्था कोऑपरेटिव होनी चाहिए क्योंकि अगर यह प्राइवेट होगी तो महिलाओं को कुछ ही रुपया मिलेगा मगर कोऑपरेटिव व्यवस्था में जितना मुनाफा आयेगा वह सारा महिला के बैंक अकाउंट में जमा होगा। शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव व्यवस्था में पशुपालकों को अपने पशुधन को संभालने के लिए किसी डॉक्टर की भी जरूरत नहीं है। साथ ही इसमें पशुओं के लिए पोषक आहार, रखरखाव, आरोग्य और वैक्सीनेशन जैसी हर प्रकार की व्यवस्था भी है। उन्होने कहा कि चाहे गाय है या भैंस है उसके पूरे रखरखाव की चिंता कोऑपरेटिव करेगी और इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने तय किया है कि अगले 5 साल में देश की हर पंचायत में पैक्स और एक डेयरी बनाएंगे। उन्होने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र को होने वाला है क्योंकि यहाँ सबसे कम पैक्स रजिस्टर्ड हैं। अगर पूर्वोत्तर में हर पंचायत के अंदर एक मल्टीपर्पज पैक्स खोलते हैं जिसमें डेयरी भी होगी तो पूर्व और पूर्वोत्तर की समृद्धि को कोई नहीं रोक सकता।
मंत्री ने कहा कि हमें अपने डेयरी क्षेत्र की ताकतों, कमजोरियों, अवसरों और चुनतियों को भली-भांति समझना होगा। हमारी ताकत भूमिहीन छोटे किसान हैं जो आज भी एक से तीन मवेशी पालते हैं। इस देश के कई राज्यों में पानी की कमी नहीं है जिनमें पूर्वोत्तर भी शामिल है। घास भी यहां आराम से मिलता है और सरकार ने इसको और भी बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने देश के दो करोड़ पशुपालकों की संख्या को बढ़ाकर सात करोड़ तक पहुंचाने और इन्हें सहकारिता की चैन के अंदर समाहित करने का लक्ष्य है। अगर हम यह लक्ष्य हासिल करने में सफल हो जाते हैं तो देश के अंदर महिला सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन दोनों को बहुत फायदा होगा। शाह ने कहा कि ताकत के साथ साथ हमें अपनी कमजोरी को भी देखना होगा। भारत सरकार पशुओं की अच्छी नस्ल के संवर्धन करने और उसके प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है ताकि हम अपनी इस कमजोरी को दूर कर पाएं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हमारी दूसरी कमजोरी है कि लगभग-लगभग 70% दूध असंगठित रुप से बाजार में जाता है जिससे किसान को उसका उचित मुल्य नहीं मिलता है। यह कमजोरी के साथ साथ एक चुनौती भी है कि हम असंगठित रुप से बाजार में जाने वाले इस 70% दूध की मात्रा को घटाकर 20% पर लेकर आएं। सहकारिता मन्त्रालय ने इस चुनौती से लड़ने का लक्ष्य भी तय किया है।
शाह ने कहा कि आज इस क्षेत्र में हमारे पास अवसर बहुत बड़ा है। भारत में 130 करोड़ का मार्केट है। हमारे पड़ोसी देशों में दूध के उत्पाद स्विजरलैंड, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया से आते हैं जिनकी परिवहन लागत बहुत अधिक है। हमारे पास भूटान, नेपाल, बंग्लादेश और लंका जैसे देशों में दूध पहुंचाने का बहुत बड़ा अवसर है। इस विश्व बाजार को एक्सप्लोर करने के लिए सरकार एक मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव की स्थापना कर रही है जो एक्सपोर्ट हाउस के रूप में काम करेगी। यह हमारी कोऑपरेटिव डेयरी के दूध के उत्पाद को विश्व के अंदर एक्सपोर्ट कर मुनाफा किसान के पास पहुंचाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि 13 लाख करोड़ रुपये का घरेलू डेयरी बाजार भी हमारे सामने एक बड़ा अवसर है। सरकार इस बाजार को 2027 तक 13 लाख करोड़ से बढ़ाकर 30 लाख करोड़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार ने अनेक पशुपालन योजनाएं बनाई हैं और पिछले 7 वर्षों में 2000 करोड़ रुपये के बजट को बढ़ाकर 6000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही पूर्वोत्तर का असली विकास शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक समग्र दृष्टिकोण के साथ पूर्वोत्तर को विकसित करना शुरू किया है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूरे नॉर्थ ईस्ट में आजादी के बाद जितना खर्चा हुआ था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 साल में ही उसे पार कर जाएंगें। मोदी जी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर के हर राज्य में एयरपोर्ट, रेल संपर्क, नए नेशनल हाईवे नेटवर्क, सिंचाई व्यवस्था और नए उद्योग लगे हैं। मोदी जी पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी कहते हैं। शाह ने कहा कि हमें इस प्रकार आगे बढ़ना है कि ये आठों राज्य 8 प्रकार की लक्ष्मी का सृजन करने वाले राज्य बनें।
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