नई दिल्ली (मा.स.स.). इफ्फी-53 में सत्यजीत रे पर विशेष खंड के हिस्से के रूप में जयदीप मुखर्जी की 34 मिनट की गैर-फीचर फिल्म “अदर रे: द आर्ट ऑफ सत्यजीत रे” को 24 नवंबर 2022 को भारतीय पैनोरमा खंड में प्रदर्शित किया गया। पीआईबी द्वारा आयोजित इफ्फी “टेबल टॉक्स” में मीडियाकर्मियों और प्रतिनिधियों से बात करते हुए निर्देशक जयदीप मुखर्जी ने कहा कि ये फिल्म एक बायोग्राफिकल डॉक्यूमेंट्री है जिसमें रे की प्रतिभा को लेकर उनकी अपनी अवधारणा शामिल है।
मुखर्जी ने कहा कि रे की प्रतिभा के विभिन्न रंगों यानी स्केचिंग, कैलिग्राफी, संगीत निर्माण, निर्देशन – इन सबको फिल्म में समग्र रूप से शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि सत्यजीत रे को रचनात्मकता विरासत में मिली थी जो उनके दादा उपेंद्रकिशोर रे चौधरी और पिता सुकुमार सेन से आई थी, लेकिन शांति निकेतन में नंदलाल बोस और अन्य दिग्गजों के सानिध्य में मिला प्रशिक्षण रे के कामों में स्पष्ट रूप से झलकता है। मुखर्जी ने कहा कि ये फिल्म रे के चरित्र विकास पर अन्य प्रभावों को भी दिखाता है, जैसे विज्ञापन कंपनी डी.जे. कीमार में बिताए उनके वर्ष या फिर प्रोफेसर एलेक्स एरोनसन से पश्चिमी संगीत के नोटेशन सीखना – जो कि उनकी फिल्मों में कई साउंडट्रैक के लिए उनकी रचना और ऑर्केस्ट्रेशन प्रक्रिया का हिस्सा था।
जयदीप मुखर्जी ने याद किया कि कैसे उन्होंने खुद सत्यजीत रे के साथ ‘अदर रे’ के विचार पर चर्चा की थी, लेकिन इसे आकार देने के लिए कई दशकों तक संघर्ष करना पड़ा। मुखर्जी ने कहा, “लंदन में सर रिचर्ड एटनबरो और रे के अन्य दोस्तों के इनपुट पाने के अलावा, मैंने 2007 में कोलकाता में एक प्रदर्शनी में रे की पेंटिंग और अन्य कार्यों की तस्वीरें लीं।” निर्देशक ने अगले 2-3 वर्षों में ऋत्विक घटक और मृणाल सेन की जन्म शती के अवसर पर उन पर भी ऐसी ही डॉक्यूमेंट्री बनाने के अपने इरादे के बारे में भी बात की।
इस जगह एक खंड “द वन एंड ओनली रे” भी है – जो कि देश भर के फिल्म उत्साही लोगों द्वारा पुन: डिज़ाइन किए गए रे की फिल्मों के पोस्टर्स की एक फिल्म पोस्टर डिज़ाइन प्रतियोगिता है। इफ्फी-2022 में सत्यजीत रे की दो क्लासिक्स, 1977 की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ और 1989 की ‘गणशत्रु’ भी दिखाई जा रही है।