नई दिल्ली (मा.स.स.). वर्ष 2022 में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा चरण 31 अक्टूबर से 03 नवंबर, 2022 तक नई दिल्ली में आयोजित किया जायेगा। यह सम्मेलन एक संस्थागत मंच के माध्यम से सैन्य-रणनीतिक स्तर पर समुद्री सुरक्षा सम्बंधी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नौसेना के कमांडरों को एक अवसर प्रदान करने कार्य करता है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के साथ-साथ दुनिया भर के अन्य हिस्सों में सुरक्षा अनिवार्यता की मांग और तेज गति से होते वैश्विक बदलाव के कारण ही इस सम्मेलन का विशेष महत्व है। वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ चुकी है।
इस सम्मेलन के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। नौसेना प्रमुख अन्य नौसेन्य कमांडरों के साथ, पिछले कुछ महीनों में भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित की गई प्रमुख परिचालन गतिविधियों, सामग्री, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा आगे की अन्य महत्वपूर्ण चुनौतियों एवं कार्यक्रमों के लिए भविष्य की योजनाओं पर विचार-विमर्श भी किया जायेगा। यह सम्मेलन समुद्री क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति के सामरिक महत्त्व और गतिशीलता की दृष्टि से इससे निपटने के लिए नौसेना की तत्परता पर भी केंद्रित होगा।
भारत की नौसेना ने भविष्य की चुनौतियों के लिए अपना दृष्टिकोण तैयार कर रखा है। इसके साथ ही उसने किसी भी संघर्षपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए विश्वसनीय तैयारी और एकजुट बल होने पर ध्यान केंद्रित किया है। नौसेना ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन दृढ़ता से पूरा करना जारी रखा है। देश की नौसेना ने भारत के बढ़ते समुद्री हितों के अनुरूप पिछले कुछ वर्षों में अपनी परिचालन गतिविधियों में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। भारतीय नौसेना की ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में स्थिति भी हाल के दिनों में समन्वित रूप से बढ़ी है। भारतीय नौसेना, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्द महासागर क्षेत्र और उसके आगे की अनिश्चित भू-रणनीतिक स्थितियों के कारण उभरने वाली सभी तरह की समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विषयों पर नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे और उनको संबोधित करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तथा भारतीय सेना एवं वायु सेना के प्रमुख भी नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे ताकि तीनों सेनाओं के साथ-साथ सामान्य परिचालन वातावरण और तीनों सेनाओं के तालमेल को और आगे बढ़ाया जा सके। इससे राष्ट्र की सुरक्षा मजबूत होने का मार्ग प्रशस्त होगा और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तत्परता भी बढ़ेगी।