लखनऊ (मा.स.स.). केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के लिए अत्याधुनिक राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि अमृत काल में एक विकसित राष्ट्र का निर्माण करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि हमारे नागरिक स्वस्थ हों। स्वस्थ नागरिक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है और यहीं से एक समृद्ध राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त होता है। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और नागरिक उड्डयन एवं सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह भी उपस्थित थे।
कल्याण और निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को दोहराते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की पारंपरिक भोजन आदतों और जीवन शैली को ‘हमारी रसोई हमारा अस्पताल’ के रूप में अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने बल देते हुए कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाला पौष्टिक भोजन बीमारियों को दूर रखने में काफी सहायता कर सकता है। डॉ मांडविया ने स्वास्थ्य और कल्याण की भारत की समृद्ध विरासत के रूप में निवारक स्वास्थ्य सेवा, बाजरे की खपत अथवा योगाभ्यास करने पर भी चर्चा की। स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण घटकों के रूप में तंदुरूस्ती और जीवन शैली के मूल्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई के राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण लेने वाले व्यक्ति देश में स्वस्थ नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे क्योंकि वे भोजन के लिए उन गुणवत्तायुक्त मानकों को सुनिश्चित करेंगे जिनका देश में पालन किया जाता है।
देश में खाद्य अपमिश्रण से उत्पन्न चुनौती पर चर्चा करते हुए, डॉ मांडविया ने कहा कि एफएसएसएआई ने राज्य प्राधिकरणों के साथ एक टीम का गठन किया है, जो इस तरह के अनाचार करने वालों पर नकेल कसेगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश में खाद्य पदार्थों में मिलावट को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश भर में बड़े पैमाने पर परीक्षण किए जाएंगे और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक (अधिनियम 2006) के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रो. एसपी सिंह बघेल ने प्रशिक्षण केंद्र को “लोक स्वास्थ्य अर्पण भवन” की संज्ञा देते हुए कहा कि को देश में खाद्य मानक स्थापित करने के मामले में एफएसएसएआई का उत्तरदायित्व बहुत व्यापक है और यह सभी के जीवन से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम जो भोजन कर रहे हैं वह इन मानकों के अनुरूप हो।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य वर्तमान ज्ञान अथवा कौशल और वांछित ज्ञान या कौशल के बीच के अंतर को दूर करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानकों के क्षेत्र में संरचित निर्देश, कार्याभ्यास और शिक्षण के अनुभव प्रदान करते हैं। जैसा कि एफएसएस अधिनियम 2006 और खाद्य सुरक्षा और मानक नियम, 2011 द्वारा अनिवार्य किया गया है, एफएसएसएआई खाद्य व्यवसाय संचालकों, कर्मचारियों, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों और नामित अधिकारियों सहित खाद्य व्यवसायों में शामिल व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है।
अधिकारियों, खाद्य व्यवसाय संचालकों और अन्य हितधारकों के लिए निरंतर कौशल उन्नयन के महत्व को स्वीकार करते हुए, एफएसएसएआई ने विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है। यह समर्पित केंद्र भारत के नागरिकों के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के लिए, प्रतिबद्ध भविष्य के लिए, तैयार कार्यबल के विकास को सुनिश्चित करते हुए पहले से मौजूद रिक्तता को दूर करता है। इस अवसर पर, एफएसएसएआई द्वारा विकसित एक ई-लर्निंग ऐप- खाद्य सुरक्षा और प्रमाणन (एफओएसटीएसी) का भी शुभारंभ किया गया इसमें स्ट्रीट वेंडर्स के लिए खाद्य सुरक्षा दिशानिर्देशों के बारे में सीखने और प्रशिक्षण मॉड्यूल जैसे कि उचित खाद्य प्रबंधन, भंडारण और स्वच्छता प्रथाओं आदि को भी शामिल किया गया था।
डॉ. मांडविया ने एफएसएसएआई द्वारा तैयार दो पुस्तकों- मिलेट्स (अन्न) रेसिपीज- ए हैल्दी मीनू फॉर मैस/कैंटीन एंड हैल्दी गट, हैल्दी यू- टैडिशनल रेसिपीज विद पोटेंशियल प्रोबायोटिक बैनेफिट्स का भी विमोचन किया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव एस गोपालकृष्णन, एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी कमला वर्धन राव और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
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