इंफाल. भारत का उत्तरपूर्वी राज्य मणिपुर बीते 4 महीने से हिंसा की आग में जल रहा है। 3 मई से दो गुटों में शुरू हुई हिंसा ने देखते ही देखते विकराल रूप ले लिया। न जाने कितने बेघर हुए, कितने ही लोगों की जानें गईं। अभी भी वहां सबकुछ सामान्य नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की कोशिशें भी विफल साबित हो रही हैं। इस बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने बड़ा खुलासा किया है। एनआईए ने बताया कि सीमा पार म्यांमार और बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन मणिपुर में जातीय हिंसा फैलाकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी में है। इस मामले में 1 को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। एनआईए ने शनिवार को मणिपुर के चूड़ांचंदपुर जिले से सेइमलुन गंगटे को गिरफ्तार किया है। इसका संबंध इन्ही आतंकी संगठनों से है।
सीमा पार से मिल रहे थे हथियार-गोला बारूद
एनआइए मामले की जांच से पता चला है कि म्यांमार और बांग्लादेश में रहने वाले आतंकवादी समूहों ने भारत में उग्रवादी नेताओं के एक वर्ग के साथ साजिश की है। इसका मकसद विभिन्न जातीय समूहों के बीच दरार पैदा करने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हिंसा भड़काने का है। इसके लिए, मणिपुर में मौजूदा जातीय संघर्ष को भड़काने के लिए, हथियार, गोला-बारूद और अन्य प्रकार के आतंकवादी हार्डवेयर खरीदने के लिए धन प्रदान किया जा रहा है।
पहले मिली जमानत और फिर गिरफ्तार
गिरफ्तार आरोपी गंगटे को नई दिल्ली लाया गया है और उसे संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा। एनआईए के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टी की है। इस मामले में एक अन्य आरोपी मोइरांगथेम आनंद सिंह को एनआईए ने 23 सितंबर को गिरफ्तार किया था। इससे पहले, मणिपुर पुलिस ने उन्हें और चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था, जब वे कथित तौर पर पुलिस की वर्दी में एक वाहन में यात्रा कर रहे थे और उनके पास हथियार और गोला-बारूद थे। पुलिस ने आरोप लगाया कि सिंह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक ओवरग्राउंड कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा था, जो एक गैरकानूनी मणिपुरी उग्रवादी संगठन है, और उसने चंदेल में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया था। हालांकि सिंह को उसके चार सहयोगियों के साथ बाद में जमानत मिल गई, लेकिन 23 सितंबर को एनआईए ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया।
साभार : नवभारत टाइम्स
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