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सीबीआई के लिए सामान्य जन का ऐसा भरोसा जीतना कोई साधारण उपलब्धि नहीं : नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्संबोधन में कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंल के मेरे सहयोगी डॉक्टर जितेंद्र सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, कैबिनेट सेक्रेटरी, डायरेक्टर सीबीआई, अन्य अधिकारीगण, देवियों और सजन्नों! आप सभी को CBI के 60 वर्ष पूरे होने, हीरक जयंती के इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई। देश की प्रीमियम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के रूप में 60 वर्ष का सफर आपने पूरा किया है। ये 6 दशक, निश्चित रूप से अनेक उपलब्धियों के रहे हैं। आज यहां सीबीआई के मामलों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का संग्रह भी जारी किया गया है। ये सीबीआई के बीते वर्षों के सफर को दिखाता है।

कुछ शहरों में सीबीआई का नया दफ्तर हो, ट्विटर हैंडल हो, अन्य व्यवस्थाएं, जिनका आज शुभारंभ हुआ है, वो निश्चित रूप से सीबीआई को और सशक्त करने में अहम भूमिका निभाएंगी। सीबीआई ने अपने काम से, अपने कौशल से सामान्य जन को एक विश्वास दिया है। आज भी जब किसी को लगता है कि कोई केस असाध्य है, तो आवाज़ उठती है कि मामला सीबीआई को दे देना चाहिए। लोग आंदोलन करते हैं कि केस उनसे ले करके सीबीआई को दे दो। यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी कोई मामला आता है, तो लोग कहते हैं- अरे भई, इसको तो सीबीआई के हवाले करना चाहिए। न्याय के, इंसाफ के एक ब्रांड के रूप में सीबीआई हर ज़ुबान पर है।

सामान्य जन का ऐसा भरोसा जीतना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। और इसके लिए पिछले 60 वर्षों में जिन-जिन ने योगदान दिया है इस संगठन में रहे सभी अधिकारी, सभी कर्मचारी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं। अभी यहां कई साथियों को उत्कृष्ठ सेवा के लिए पुलिस मेडल से भी सम्मानित किया गया है। जिनका सम्‍मान करने का मुझे अवसर मिला है, जिनको सम्‍मान प्राप्‍त हुआ है, उनको, उनके परिवारजनों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर अतीत की उपलब्धियों के साथ ही, आने वाले समय की, भविष्य की चुनौतियों पर मंथन भी उतना ही आवश्यक है। आपने ये जो चिंतन शिविर किया है, इसका उद्देश्य भी अपने-आपको अपग्रेट रखना, अपने-आपको अपडेट करना और इसमें पुराने अनुभवों से सीख लेते हुए, भविष्य के रास्ते निकालने हैं, निर्धारित करने हैं। ये भी ऐसे समय में हो रहा है जब देश ने अमृतकाल की यात्रा का आरंभ किया है। कोटि-कोटि भारतीयों ने आने वाले 25 सालों में भारत को विकसित बनाने का संकल्प लिया है। और विकसित भारत का निर्माण, professional और efficient institutions के बिना संभव नहीं है। और इसलिए सीबीआई पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

पिछले 6 दशकों में सीबीआई ने multi-dimensional और मल्टी-डिसिप्लिनरी जांच एजेंसी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। आज सीबीआई का दायरा काफी बड़ा हो चुका है। बैंक फ्रॉड से लेकर, वाइल्ड लाइफ से जुड़े हुए अपराधों, यानी यहां से यहां तक, महानगर से ले करके जंगल तक अब सीबीआई को दौड़ना पड़ रहा है। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम से लेकर, साइबर क्राइम तक के मामले, सीबीआई देख रही है।लेकिन मुख्य रूप से सीबीआई की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करने की है। भ्रष्टाचार, कोई सामान्य अपराध नहीं होता। भ्रष्टाचार, गरीब से उसका हक छीनता है, भ्रष्‍टाचार अनेक अपराधों का सिलसिला शुरू करता है, अपराधों को जन्म देता है।

भ्रष्टाचार, लोकतंत्र और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा होता है। विशेष रूप से जब सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार हावी रहता है, तो वो लोकतंत्र को फलने-फूलने नहीं देता। जहां भ्रष्टाचार होता है, वहां सबसे पहले युवाओं के सपने बलि चढ़ जाते हैं, युवाओं को उचित अवसर नहीं मिलते हैं। वहां सिर्फ एक विशेष इकोसिस्टम ही फलता-फूलता है। भ्रष्टाचार, प्रतिभा का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, और यहीं से भाई-भतीजावाद, परिवारवाद पनपता रहता है और अपना शिकंजा मजबूत करता रहता है। जब भाई-भतीजवाद और परिवारवाद बढ़ता है, तो समाज का, राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता जाता है। और जब राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता है, तो विकास अवश्‍य प्रभावित हो जाता है। दुर्भाग्य से, गुलामी के कालखंड से, करप्शन की एक legacy हमें मिली है। लेकिन दुख इस बात का है कि आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक इस legacy को हटाने के बजाय किसी न किसी रूप में कुछ लोग उसको सशक्त करते रहे।

आप याद कीजिए, 10 वर्ष पहले, जब आप गोल्डन जुबली मना रहे थे, तब देश क्या स्थिति थी? तब की सरकार के हर फैसले, हर प्रोजेक्ट, सवालों के घेरे में थे। करप्शन के हर केस में, पहले के केस से, बड़ा होने की होड़ लगी हुई थी, तूने इतना किया तो मैं इतना करके दिखाऊंगा। आज देश में इकॉनॉमी के साइज़ के लिए लाख करोड़ यानि ट्रिलियन डॉलर की चर्चा होती है। लेकिन तब, घोटालों की साइज़ के लिए लाख करोड़ की टर्म मशहूर हुई थी। इतने बड़े-बड़े घोटाले हुए, लेकिन आरोपी निश्चिंत थे। उन्हें पता था कि तब का सिस्टम उनके साथ खड़ा है। और इसका असर क्या हुआ? देश का व्यवस्था पर भरोसा टूट रहा था। पूरे देश में करप्शन के खिलाफ आक्रोश लगातार बढ़ रहा था। इससे पूरा तंत्र छिन्न-भिन्न होने लगा, लोग फैसला लेने से बचने लगे, पॉलिसी पैरालिसिस का माहौल बन गया। इसने देश का विकास ठप कर दिया। देश में आने से निवेशक डरने लगे। करप्शन के उस कालखंड ने भारत का बहुत ज्यादा नुकसान किया।

साल 2014 के बाद हमारा पहला दायित्व, व्यवस्था में भरोसे को फिर कायम करने का रहा और इसलिए हमने काले धन को लेकर, बेनामी संपत्ति को लेकर, मिशन मोड पर एक्शन शुरु किया। हमने भ्रष्टाचारियों के साथ-साथ, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले कारणों पर, प्रहार करना शुरु किया। आप याद कीजिए, सरकारी टेंडर प्रक्रियाएं, सरकारी ठेके, ये सवालों के सबसे बड़े घेरे में थीं। हमने इनमें पारदर्शिता को प्रोत्साहन दिया। आज जब हम 2G और 5G स्पेक्ट्रम के आवंटन की तुलना करते हैं, तो अंतर साफ-साफ नज़र आता है। आप भी जानते हैं अब केंद्र सरकार के हर विभाग में खरीदारी के लिए GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस की स्थापना की गई है। आज हर विभाग ट्रांसपेरेंसी के साथ इसी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक खरीदारी कर रहा है।

आज हम इंटरनेट बैंकिंग की बात करते हैं, UPI से रिकॉर्ड ट्रांजेक्शन की बात करते हैं। लेकिन हमने 2014 से पहले का फोन बैंकिंग वाला दौर भी देखा है। ये वो दौर था, जब दिल्ली में प्रभावशाली राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के फोन पर हज़ारों करोड़ रुपए के बैंक लोन मिला करते थे। इसने हमारी अर्थव्यवस्था के आधार, हमारे बैंकिंग सिस्टम को बर्बाद कर दिया था। बीते वर्षों में हम बहुत मेहनत करके अपने बैंकिंग सेक्टर को मुश्किलों से बाहर निकाल करके लाए हैं। फोन बैंकिंग के उस दौर में कुछ लोगों ने 22 हज़ार करोड़ रुपए देश के बैंकों के लूट लिए और विदेश भाग गए। हमने Fugitive Economic Offenders कानून बनाया। अभी तक विदेश भागे इन आर्थिक अपराधियों की, 20 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

भ्रष्टाचारियों ने देश का खजाना लूटने का एक और तरीका बना रखा था, जो दशकों से चला आ रहा था। ये था, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से लूट। पहले की सरकारों में जो मदद गरीब लाभार्थियों के लिए भेजी जाती थी, वो बीच में ही लूट ली जाती थी। राशन हो, घर हो, स्कॉलरशिप हो, पेंशन हो, ऐसी अनेक सरकारी स्कीम्स में असली लाभार्थी खुद को ठगा हुए महसूस करते थे। और एक प्रधानमंत्री ने तो कहा था, एक रुपया जाता है 15 पैसा पहुंचता है, 85 पैसों की चोरी होती थी। पिछले दिनों मैं सोच रहा था हमने DBT के द्वारा करीब 27 लाख करोड़ रुपये नीचे लोगों ने पहुंचाया है। अगर उस हिसाब से देखता तो 27 लाख करोड़ में से करीब-करीब 16 लाख करोड़ कहीं चले गए होते। आज जनधन, आधार, मोबाइल की ट्रिनिटी से हर लाभार्थी को उसका पूरा हक मिल रहा है। इस व्यवस्था से 8 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थी सिस्टम से बाहर हुए हैं। जो बेटी पैदा नहीं हुई वो विधवा हो जाती थी और विधवा पेंशन चलता था। DBT से देश के करीब सवा 2 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं।

एक समय था जब सरकारी नौकरियों में इंटरव्यू पास कराने के लिए भी जम करके भ्रष्टाचार होता था। हमने केंद्रीय भर्तियों की ग्रुप-सी, ग्रुप-डी भर्तियों से इंटरव्यू खत्म कर दिए। एक समय में यूरिया के भी घोटाले होते थे। हमने यूरिया में नीम कोटिंग कर इस पर भी लगाम लगा दी। डिफेंस डील्स में भी घोटाले आम थे। बीते 9 वर्षों में डिफेंस डील्स पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है। अब तो हम भारत में ही अपनी ज़रूरत का रक्षा सामान बनाने पर बल दे रहे हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई को लेकर ऐसे अनेक कदम आप भी बता सकते हैं, मैं भी गिना सकता हूं। लेकिन अतीत के हर अध्याय से हमें कुछ न कुछ सीखने की ज़रूरत है। दुर्भाग्य से, भ्रष्टाचार से जुड़े मामले वर्षों तक खींचते चले जाते हैं। ऐसे मामले भी आए हैं, जिसमें FIR होने के 10 साल बाद भी, सजा की धाराओं पर चर्चा चलती रहती है। आज भी जिन मामलों पर एक्शन हो रहे हैं, वो कई-कई साल पुराने हैं।

जांच में देरी दो तरीके से समस्या को जन्म देती है। एक तरफ, भ्रष्टाचारी को सजा देर से मिलती है, तो दूसरी तरफ निर्दोष परेशान होता रहता है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि कैसे हम इस प्रोसेस को तेज बनाएं और भ्रष्टाचार में दोषी को सजा मिलने का रास्ता साफ हो पाए। हमें Best international practices को स्टडी करना होगा। जांच अधिकारियों की Capacity building पर फोकस करना होगा। और  आपके बीच, मैं एक बात फिर स्पष्ट करना चाहता हूं। आज देश में करप्शन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजनीति की इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। आपको कहीं पर भी हिचकने, कहीं रुकने की ज़रूरत नहीं है। मैं जानता हूं कि जिनके खिलाफ आप एक्शन ले रहे हैं, वो बहुत ताकतवर लोग हैं। बरसों-बरस तक वो सरकर का, सिस्टम का हिस्सा रहे हैं। संभव है कई जगह, किसी राज्य में आज भी वे सत्ता का हिस्सा हों। बरसों-बरस तक उन्होंने भी एक इकोसिस्टम बनाया है। ये इकोसिस्टम अक्सर उनके काले कारनामों को कवर देने के लिए, आप जैसी संस्थाओं की छवि बिगाड़ने के लिए, एक्टिव हो जाता है। एजेंसी पर ही हमला बोलता है।

ये लोग आपका ध्यान भटकाते रहेंगे, लेकिन आपको अपने काम पर फोकस रखना है। कोई भी भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए। हमारी कोशिशों में कोई भी ढील नहीं आनी चाहिए। ये देश की इच्छा है, ये देशवासियों की इच्छा है। और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं देश आपके साथ देश है, कानून आपके साथ है, देश का संविधान आपके साथ है। बेहतर परिणामों के लिए अलग-अलग एजेंसियों के बीच के silos को भी खत्म करना बहुत आवश्यक है। Joint और multidisciplinary investigation आपसी विश्वास के माहौल में ही संभव होगा। अब देश की geographical boundaries उससे बाहर भी पैसों का, लोगों का, goods & services का बड़े पैमाने पर मूवमेंट हो रहा है। जैसे-जैसे भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है तो अड़चनें पैदा करने वाले भी बढ़ रहे हैं।

भारत के सामाजिक तानेबाने पर, हमारी एकता और भाईचारे पर, हमारे आर्थिक हितों पर, हमारे संस्थानों भी नित्‍य-प्रतिदिन प्रहार बढ़ते चले जा रहे हैं। और इसमें ज़ाहिर तौर पर करप्शन का पैसा लगता है। इसलिए, हमें क्राइम और करप्शन के मल्टीनेशनल नेचर को भी समझना होगा, स्टडी करना होगा। उसके root cause तक पहुंचना होगा। आज हम अक्सर देखते हैं कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी के कारण क्राइम ग्लोबल हो रहे हैं। लेकिन यही टेक्नॉलॉजी, यही इनोवेशन समाधान भी दे सकते हैं। हमें इन्वेस्टिगेशन में फॉरेंसिंक साइंस के उपयोग का और ज्यादा विस्तार करना होगा।

साइबर क्राइम जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें इनोवेटिव तरीके खोजने चाहिए। हम tech enabled entrepreneurs और youngsters को अपने साथ जोड़ सकते हैं। आपके संगठन में ही कई techno- savvy युवा होंगे, जिनका बेहतर उपयोग किया जा सकता है।मुझे बताया गया है कि सीबीआई ने 75 ऐसी प्रथाओं को compile किया है, जिन्हें समाप्त किया जा सकता है। हमें एक समयबद्ध तरीके से इस पर काम करना चाहिए। बीते वर्षों में सीबीआई ने खुद को evolve किया है। ये प्रक्रिया, बिना रुके, बिना थके, ऐसे ही चलती रहनी चाहिए। मुझे पूरा विश्‍वास है ये चिंतन शिविर एक नए आत्‍मविश्‍वास को जन्‍म देगा, ये चिंतन शिविर नए आयामों तक पहुंचने के रास्‍तें बनाएगा, ये चिंतन शिविर गंभीर से गंभीर, कठिन से कठिन समस्‍याओं को सुलझाने के तौर-तरीके मे आधुनिकता ले आएगा। और हम ज्‍यादा प्रभावी होंगे, ज्‍यादा परिणामकारी होंगे और सामान्‍य नागरिक न बुरा करना चाहता है न बुरा उसको पसंद है। हम उसके भरोसे आगे बढ़ना चाहते हैं जिसके दिल में सच्‍चाई जिंदा है। और वो संख्‍या कोटि-कोटि जनों की है, कोटि-कोटि जनों की है। इतना बड़ा सामर्थ्‍य हमारे साथ खड़ा है। हमारे विश्‍वास में कहीं कमी की गुंजाइश नहीं है सा‍थियो।

इस हीरक महोत्‍सव के महत्‍वपूर्ण अवसर पर मैं आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप अपने लिए 15 साल में क्‍या करेंगे, और अपने माध्‍यम से 2047 तक क्‍या अचीव करेंगे, ये दो लक्ष्‍य तय करके आगे बढ़ना चाहिए। 15 साल इसलिए कि जब आप 75 के होंगे तब आप कितने सामर्थ्‍यवान, समर्पित, संकल्‍पवान होंगे, और जब देश 2047 में शताब्‍दी मनाता होगा, तब इस देश की आशा-अपेक्षाओं के अनुरूप आप किस ऊंचाई पर पहुंचे होंगे, वो दिन देश देखना चाहता है।

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