रविवार, दिसंबर 22 2024 | 10:59:44 PM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / सुप्रीम कोर्ट को नहीं बनने देंगे तारीख पर तारीख वाली अदालत : डीवाई चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट को नहीं बनने देंगे तारीख पर तारीख वाली अदालत : डीवाई चंद्रचूड़

Follow us on:

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को सुलझाने में देरी और सुनवाई टालने पर चिंता जताई। CJI ने वकीलों से कहा कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली अदालत बन जाए।उन्होंने कहा कि हर रोज औसतन 154 मामले टाले जाते हैं। अगर इतने सारे मामले एडजर्नमेंट (स्थगन या टालना) में रहेंगे तो यह अदालत की अच्छी छवि नहीं दिखाता।

साथ ही CJI ने वकीलों से अपील की- जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें। दरअसल, CJI चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट लगातार लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रहा है और सबसे ज्यादा ए़डजर्नमेंट की मांग इन्हीं मामलों में की जाती है।

CJI बोले- बीते दो महीने में 3 हजार से ज्यादा बार एडजर्नमेंट हुआ
CJI ने कोर्ट में एडजर्नमेंट के मामलों के बारे में डेटा इकट्‌ठा किया। इस डेटा का एनालिसिस कर उन्होंने शुक्रवार को कोर्ट में कहा कि केवल सितंबर और अक्टूबर में 3,688 बार कोर्ट में सुनवाई टालने की मांग की गई। आज ही यानी 3 नवंबर को 178 मामलों की सुनवाई टालने की मांग की गई। औसतन हर रोज 154 केस एडजर्न होते हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट में मामले के दाखिल होने से लेकर पहली सुनवाई के लिए आने तक की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा हूं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय मिलने में कम से कम समय लगे।

लिस्टेड मामलों से 3 गुना ज्यादा मामले एडजर्न
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बीते दो महीने में एडजर्न किए गए मामलों की संख्या लिस्टेड मामलों से तीन गुना ज्यादा थी। हम मामलों की सुनवाई जल्द कर रहे हैं, लेकिन फिर उन्हीं मामलों में ए़डजर्नमेंट मांग लिया जाता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के सदस्यों और वकीलों से अपील की कि जब तक जरूरी न हो सुनवाई टालने की मांग न करें।

सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने वकीलों की ओर से बार-बार ‘माय लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कहे जाने पर नाराजगी जताई। दरअसल, कोर्ट में एक नियमित मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान जस्टिस एएस बोपन्ना के साथ बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी बैठे थे। इस दौरान एक सीनियर एडवोकेट उन्हें बार-बार ‘माय लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कह रहे थे।

साभार : दैनिक भास्कर

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www।amazon।in/dp/9392581181/

https://www।flipkart।com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

मायावती आंबेडकर मुद्दे पर 24 दिसंबर को पूरे देश में करेगी आंदोलन

नई दिल्ली. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब …