नई दिल्ली (मा.स.स.). केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविन पवार ने आज भारत की जी20 अध्यक्षता के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्य समूह की तीसरी बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि महामारी का खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक स्वास्थ्य-आधारित निगरानी प्रणाली को एकीकृत और मजबूत करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल भी उपस्थित थे।
वैश्विक सहयोग और साझेदारी के महत्व का उल्लेख करते हुए, डॉ. भारती प्रविण पवार ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने इस बात पर जोर दिया है कि साझेदारी वर्तमान में जारी महामारी के समय न होकर केवल शांतिकाल के दौरान विकसित होने पर ही सबसे अधिक फलदायी होती है। उन्होंने कहा कि हमें प्राथमिक स्वास्थ्य की आधारशिला के साथ, सुगम स्वास्थ्य प्रणाली बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जी20 सदस्यों के रूप में हमारी साझेदारी विश्वास बनाने, ज्ञान साझा करने, नेटवर्क बनाने और सार्थक प्रभाव और परिणाम प्राप्त करने के लिए एक साथ काम करने में सुविधा प्रदान करती है।
डॉ. पवार ने सुरक्षित, प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपायों की उपलब्धता की आवश्यकता का भी उल्लेख किया। डॉ. प्रवार ने कहा कि भारत जी20 अध्यक्षता नेटवर्क के दृष्टिकोण का पालन करने के साथ मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय पहलों का लाभ उठाते हुए, एंड-टू-एंड ग्लोबल मेडिकल काउंटरमेज़र (एमसीएम) इकोसिस्टम के लिए आम सहमति बनाने की दिशा में काम कर रहा है। डॉ. पवार ने जी20 देशों के नेतृत्व से एक अंतरिम मंच के निर्माण की अपील की। यह मंच अंतर सरकारी वार्ता निकाय (आईएनबी) प्रक्रिया द्वारा निर्देशित होगा और इसी दिशा में कार्य करेगा।
जापान की जी7 प्रेसीडेंसी के दौरान एमसीएम डिलीवरी पार्टनरशिप के शुभारंभ और जी20 के एंड-टू-एंड एमसीएम इकोसिस्टम के प्रस्ताव के साथ संरेखित जी7 और जी20 प्राथमिकताओं के बीच समानता को स्वीकारते हुए डॉ. पवार ने वैश्विक समुदाय से इस दिशा में जारी प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि महामारी साझेदारी को अंतिम रूप देने के लिए इंतजार नहीं करती इसलिए अभी कार्य करने का समय है। डॉ. पवार ने वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग में जारी पहलों को एकजुट करने के लिए डब्ल्यूएचओ-प्रबंधित नेटवर्क, डिजिटल स्वास्थ्य पर एक वैश्विक पहल के भारत के प्रस्ताव के बारे में प्रतिनिधियों को भी इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह पहल राष्ट्रों के बीच डिजिटल विभाजन को पाटने में सक्षम हो सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि प्रौद्योगिकी का लाभ दुनिया के प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध कराया जाए।
स्वास्थ्य सेवा में भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली के योगदान को रेखांकित करते हुए जी किशन रेड्डी ने कहा कि भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली ने सभी के लिए निवारक और समग्र कल्याण का प्रचार किया है। उन्होंने दुनिया भर में आयुर्वेद और योग के महत्वपूर्ण प्रभाव की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत ने हमें आयुर्वेद अथवा जीवन का विज्ञान दिया है जो पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है। इसी तरह, योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को बढ़ावा देने के लिए सबसे भरोसेमंद कार्य अभ्यासों में से एक के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री के भारत को चिकित्सा मूल्य यात्रा के नए केन्द्रों में से एक बनाने के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री ने कहा कि भारत सस्ती, कुशल और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा का आवास है जो देश को चिकित्सा मूल्य की गंतव्य यात्रा के रूप में प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि भारत स्वास्थ्य और सेहत के लिए दुनिया भर के लोगों द्वारा पसंद किए जाने वाले शीर्ष दस देशों में शामिल है।
किशन रेड्डी ने कहा कि जीवन बचाने और आजीविका की रक्षा करने के महान दृष्टिकोण में एक विश्वसनीय भागीदार होने पर भारत गौरवान्वित महसूस करता है। उन्होंने ‘‘विश्व की फार्मेसी’’ के रूप में भारत की मान्यता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में सिर्फ जीनोम वैली ही दुनिया के वैक्सीन उत्पादन में करीब 33 प्रतिशत का योगदान करती है। केन्द्रीय पर्यटन मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि भारत 2030 तक सभी के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा देखभाल अर्जित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपने संबोधन के समापन में कहा कि स्वस्थ और प्रेरित विश्व के निर्माण के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल की शक्ति का समर्थन, उपयोग और सुविधा प्रदान करने के लिए जी20 से बेहतर मंच नहीं हो सकता है।
प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने कहा कि महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए विविध बहुपक्षीय प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कोविड-19 महामारी ने हमें सिखाया है कि केवल एक स्थायी स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से ही एक स्थायी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर हस्तक्षेप के माध्यम से ही प्रभावी महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को सुगम बनाया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य जी20 के मंच के माध्यम से सभी के लिए सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं, टीके, चिकित्सीय और निदान सुनिश्चित करना है। उन्होंने तैयारियों के लिए वित्तपोषण के अलावा आपात स्थिति में स्वास्थ्य प्रणालियों और समाजों के वित्तपोषण के मुद्दे को प्राथमिकता देने के लिए जी20 संयुक्त वित्त और स्वास्थ्य कार्य बल और जी7 के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान और बहुपक्षीय विकास बैंक एवं वैश्विक कोष और महामारी कोष जैसे कोष आम वस्तुओं और सार्वजनिक क्षमताओं के निर्माण के लिए अल्प संसाधन वाले क्षेत्रों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ सतत विकास लक्ष्यों में उल्लिखित एक महत्वपूर्ण एजेंडा है। हाल ही में संपन्न हुई 76वीं विश्व स्वास्थ्य बैठक में भी यह एक प्रासंगिक विषय था। उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता का विषय, ‘‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’’ भी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की व्यापक अवधारणा को दर्शाता है। उन्होंने स्वास्थ्य आपातकालीन तैयारी, रोकथाम और प्रतिक्रिया में वैश्विक स्वास्थ्य संरचना में वर्तमान में जारी समानांतर चर्चाओं को अभिसरण करने की आवश्यकता, मेडिकल काउंटरमेशर्स और डिजिटल स्वास्थ्य जैसी मौजूदा व्यवस्थाओं को संचालित करने में आने वाली बाधाओं को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी मौजूदा वैश्विक स्वास्थ्य पहलों, जी7, जी20 और यूएनजीए जैसी वैश्विक और क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रक्रियाओं को संयुक्त रूप से फिट-फॉर-पर्पज ग्लोबल हेल्थ आर्किटेक्चर के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करके एकीकृत करना महत्वपूर्ण है।
इंडोनेशिया और ब्राजील ट्रोइका सदस्यों ने तीन स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को रेखांकित करने के लिए भारत की अध्यक्षता की सराहना की। उन्होंने सामूहिक रूप से महामारी की तैयारी, रोकथाम और प्रतिक्रिया के उपायों को मजबूत करने और एक फिट-फॉर-पर्पज ग्लोबल हेल्थ आर्किटेक्चर बनाने की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, विदेश मंत्रालय के अपर सचिव और भारत की जी20 अध्यक्षता के एसओयूएस शेरपा अभय ठाकुर, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव लव अग्रवाल, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती हेकाली झिमोमी, जी20 सदस्य देशों के प्रतिनिधि, विशेष आमंत्रित देश, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, डब्ल्यूएचओ, विश्व बैंक, डब्ल्यूईएफ आदि जैसे मंचों और भागीदारों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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