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भूटान नरेश वांगचुक ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से की मुलाकात

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नई दिल्ली. भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक रविवार को नई दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। वांगचुक की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भूटान और चीन दशकों पुराने सीमा विवाद को जल्द सुलझाने पर जोर दे रहे हैं। भारत, भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर होने वाली बातचीत पर करीबी नजर रख रही है, क्योंकि इसका असर भारत के सुरक्षा हितों पर पड़ सकता है, खासकर डोकलाम ट्राई जंक्शन पर।

बाद में जयशंकर ने वांगचुक से मुलाकात की। बैठक के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि भूटान नरेश के मार्गदर्शन में भूटान के सतत बदलाव के दृष्टिकोण का भारत समर्थन करता है। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘भूटान नरेश के नई दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद उनसे मुलाकात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। असम की उनकी पहली यात्रा के अनुभव के बारे में सुनकर प्रसन्नता हुई। भारत भूटान नरेश के मार्गदर्शन में भूटान के सतत परिवर्तन के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।’

वांगचुक ने तीन नवंबर को गुवाहाटी से भारत की अपनी आठ दिवसीय यात्रा शुरू की थी। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘भूटान नरेश के नई दिल्ली पहुंचने पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। महामहिम भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं।’ उन्होंने कहा, यह यात्रा एक मूल्यवान साझेदार के साथ दोस्ती और सहयोग के घनिष्ठ बंधन को और मजबूत करेगी। भूटान नरेश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का कार्यक्रम है। विदेश मंत्रालय ने दो नवंबर को कहा था कि भूटान नरेश की यात्रा दोनों पक्षों को द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा करने और विभिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।

उनकी भारत यात्रा भूटान और चीन के बीच सीमा वार्ता में नई गति की पृष्ठभूमि में हो रही है। पिछले महीने भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ वार्ता की थी। वार्ता पर चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भूटान दृढ़ता से एक चीन के सिद्धांत का पालन करता है और सीमा मुद्दे के जल्द समाधान तथा राजनयिक संबंध स्थापित करने की राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए चीन के साथ काम करने को तैयार है। अगस्त में, चीन और भूटान ने अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए “तीन-चरणीय रोडमैप” को लागू करने के लिए तेजी लाने और एक साथ कदम उठाने पर सहमति जताई थी।

अक्तूबर 2021 में भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए “तीन-चरणीय रोडमैप” पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते पर हस्ताक्षर करने से चार साल पहले भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम तिराहे पर 73 दिनों तक गतिरोध चला था क्योंकि चीन ने उस क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने की कोशिश की थी जिसके बारे में भूटान दावा करता है कि वह उसका है। 2017 में डोकलाम पठार में भारत-चीन गतिरोध ने दोनों पड़ोसियों के बीच बड़े संघर्ष की आशंका ओं को भी जन्म दिया। भूटान ने कहा था कि यह क्षेत्र उसका है और भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है।

साभार : अमर उजाला

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