चंडीगढ़. हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और गाजियाबाद जैसे शहरों में तनाव देखने को मिला. इसके बाद अब मुस्लिमों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान पोस्टरों के भाषणों के जरिए किया जा रहा है. यहीं नहीं, पुलिसवालों की मौजूदगी में ये तक कहा जा रहा है कि आप मुस्लमानों को नौकरी पर रखते है तो आप गद्दार कहलाएंगे. हिसार जिले का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
दुकानदारों की दी गई चेतावनी
हांसी के बाजार का ये वीडियो बताया जा रहा है जिसमें हिंदू समाज के कुछ लोग पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में दुकानदारों को चेतावनी देते हुए कह रहे है कि किसी बाहरी मुसलमान को नौकरी पर रखा है तो दो दिन में निकाल दिया जाए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन दुकानदारों का बहिष्कार किया जाएगा. इसके अलावा गाजियाबाद के नन्दग्राम इलाके में कुछ पोस्टर भी देखे गए थे. जिसमें मुस्लिमों के बहिष्कार की अपील की गई थी. इसके अलावा मध्यप्रदेश के सागर में एक विश्व हिंदू परिषद के नेता द्वारा मुस्लिमों का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया था. वहीं 6 अगस्त को पंजाब के फाजिल्का में एक बजरंग दल के नेता ने नसीर और जुनैद की हत्या को जायज ठहराया.
‘मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक’
वहीं नूंह हिंसा के बाद रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और झज्जर जिलों की 50 से ज्यादा ग्राम पंचायतों मे एक पत्र जारी किया है और गांव में मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. इसके अलावा सरपंचों द्वारा जारी पत्रों में कहा गया है कि गांवों में रहने वाले मुसलमानों को पुलिस के पास अपने पहचान पत्र से संबंधित दस्तावेज जमा कराने होंगे. आपको बता दें कि जिन ग्राम पंचायतों ने मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक लगाई है वहां अधिकांश गांवों में अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी निवासी नहीं है. सरपंचों द्वारा जारी पत्रों में कहा गया है कि हमारा इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है.
‘हिंसा के बाद जो हो रहा वो गंभीर मामला’
नूंह में हिंसा के बाद मुसलमानों के बहिष्कार और अलगाव के आह्वान के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. शाहीन अब्दुल्ला नाम के शख्स की ओर याचिका दायर की गई है जिसमें नूंह हिंसा के बाद दी जा रही हेट स्पीच का मुद्दा उठाया गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष यह अर्जी दाखिल की है. अर्जी में कहा गया है कि नूंह हिंसा के बाद जो हो रहा है वो गंभीर मामला है. ये आपत्तिजनक है आपकों इसमें दखल देना चाहिए.
साभार : एबीपी न्यूज़
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं