देहरादून. उत्तरकाशी के पुरोला में नाबालिग छात्रा को भगाने के मामला शांत होते नहीं दिखाई दे रहा है। अब यहां मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर पोस्टर लगा दिए गए हैं। जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों ने सुरक्षा और शांति व्यवस्था को लेकर पुरोला उपजिलाधिकारी देवानंद शर्मा को ज्ञापन सौंपा। साथ ही मुस्लिम व्यापारियों की सुरक्षा की मांग की है।
मुस्लिम व्यापारियों ने कहा कि पिछले दस दिनों से उनकी प्रतिष्ठान बंद हैं। मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों में असुरक्षा का माहौल है। पहले बोर्ड-बैनर तोड़ने पोस्टर चिपकाने के बाद मुस्लिम व्यापारियों में और अधिक डर बना हुआ है। जिले में प्रशासन की ओर से मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों को सुरक्षा का अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। पुरोला में गारमेंट्स, नाई, फल सब्जी, मोटर मैकेनिक सहित 40 से अधिक मुस्लिम व्यापारियों के प्रतिष्ठान हैं।
दरअसल बीती 26 मई को पुरोला में नाबालिग छात्रा को भगाने के आरोप में एक हिंदू और एक मुस्लिम युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों के विरुद्ध पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। इस घटना के बाद से पुरोला में मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध व्यापारियों सहित विभिन्न संगठनों ने मोर्चा खोला।
घटना के विरोध में पुरोला और बड़कोट में बाजार बंद और जुलूस के दौरान मुस्लिम व्यापारियों के प्रतिष्ठानों की बोर्ड और बैनर भी फाड़े गए। बड़कोट में दुकानों पर क्रॉस के चिन्ह लगाए गए। जबकि पुरोला में पोस्टर चिपकाए गए। पुरोला में शांति व्यवस्था को लेकर पुलिस ने व्यापार मंडल के साथ भी बैठक की।
मुस्लिम व्यापारियों ने सुरक्षा और शांति व्यवस्था को लेकर उपजिलाधिकारी व थानाध्यक्ष को ज्ञापन दिया।जिसमें मुस्लिम व्यापारियों ने कहा कि कुछ संदिग्ध अपराधी किस्म के लोगों के कारण सभी मुस्लिम व्यवसाइयों को दोषी मानना उचित नहीं है। कुछ मुस्लिम परिवार वर्षों से सौहार्द पूर्ण माहौल में पुरोला में व्यवसाय कर रहे हैं। किंतु गत कुछ वर्षों से व्यवसाय के बहाने बाहर से अपराधी किस्म के व्यक्ति इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
कपड़ा व्यापारी असरफ व रईस ने कहा कि अपराधी किस्म के व्यक्तियों के विरुद्ध वह पुलिस प्रशासन और व्यापार मंडल के साथ हैं। परंतु उन्होंने सुरक्षा का माहौल दिया जाए। जिससे वह व्यापार कर सकें। उनकी दुकानें कई दिनों से बंद पड़ी हैं। उन्हें परिवार के भरण पोषण के लिए आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा रहा है।
साभार : दैनिक भास्कर
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