रायपुर. नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी को मारने के बाद अत्याधिक व्यथित थे, वे जानते थे कि इसके बाद वे नहीं बचेंगे और उन्हें फांसी हो जाएगी, इसके बाद भी उन्होंने उसे मारा। यह बातें शनिवार को विधानसभा रोड स्थित स्वर्णभूमि पहुंचे पुरी पीठाधीश्वर निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि गोडसे की प्रतिबंधित किताब उनके पास वृंदावन और पुरी में है। उस किताब को पढ़कर आप समझ जाएंगे कि नाथूराम गोडसे कितने ज्यादा व्यथित थे।
शंकराचार्य ने कहा कि किताब में गोडसे ने लिखा है कि अगर वे महात्मा गांधी को नहीं मारते तो उस व्यक्ति की कूटनीति चल जाती। देश के लिए उनका ज्यादा समय तक जीवित रहना सही नहीं होता। अपनी किताब में गोडसे ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि देश की व्यवस्था अत्यंत ही खराब हो रही थी,इसके चलते ही उन्होंने गांधी को मारा। आप लोग भी जब यह किताब पड़ेंगे तब असली बात सामने आएगी। गौरतलब है कि रविवार को पुरी पीठाधीश्वर महाराज द्वारा कृष्णमूर्ति स्पोर्ट्स एकेडमी का भूमिपूजन व शिलान्यास कियाजाएगा। साथ ही सत्संग, धर्म संगोष्ठी व पादुका पूजन भी होगा।
शासनतंत्र की दिशाहीनता के कारण हो रहा मतांतरण
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि शासन तंत्र की दिशाहीनता के कारण ही मतांतरण हो रहा है। इस ओर ध्यान देना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। सनातन धर्म को बचाने हिंदुओं को आगे आना ही होगा। इन दिनों हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाए जाने की साजिश हो रही है।
शंकराचार्य ने जो मर्यादा तय की है उसके आधार पर होगा उत्तराधिकारी
नए उत्तराधिकारी बनाए जाने के संबंध में प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने मानदंड व मर्यादा तय किए है,उनके अनुसार ही उत्तराधिकारी का चयन होगा। शंकराचार्य के पास पूरा अधिकार होता है कि अपने उत्तराधिकारी का चयन करें। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रति जागरुकता लाने में माता-पिता को ही सामने आना होगा। सभी हिंदूओं को एक साथ आगे आना होगा।
साभार : नई दुनिया
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