देहरादून. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार को एक निर्माणाधीन टनल धंस गई। टनल में 36 मजदूर फंसे हुए हैं। इन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। फिलहाल टनल के अंदर ऑक्सीजन भेजी जा रही है। हादसा सुबह 4 बजे हुआ। यह टनल ब्रह्मकमल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। इसकी लंबाई साढ़े 4 किलोमीटर और चौड़ाई 14 मीटर है। उत्तरकाशी के SP अर्पण यदुवंशी ने बताया कि टनल का 50 मीटर का हिस्सा धंस गया है। इसमें फंसे ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं।
जहां टनल धंसी, वो हिस्सा सुरंग के स्टार्टिंग पॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर है। रेस्क्यू के लिए NDRF, SDRF, फायर ब्रिगेड, नेशनल हाईवे के करीब 156 लोग लगे हुए हैं। अफसरों के मुताबिक, मजदूरों को निकालने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है। घटना को लेकर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा- जब से मुझे घटना के बारे में पता चला है तब से मैं अधिकारियों के संपर्क में हूं। मैं भगवान से सभी मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहा हूं।
क्यों बनाई जा रही सिल्क्यारा टनल
चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये ऑल वेदर (हर मौसम में खुली रहने वाली) टनल बनाई जा रही है। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी। चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव धरासू से यमुनोत्री नेशनल हाईवे शुरू होता हैं। यह हाईवे जानकीचट्टी पर खत्म होता है। धरासू से जानकीचट्टी की दूरी 106 किमी है। बीच में राड़ी टाप क्षेत्र पड़ता है।
हालांकि जब सर्दियों में बर्फबारी होती है तो राड़ी टाप क्षेत्र में यमुनोत्री हाईवे बंद हो जाता है। जिससे यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालयों बड़कोट, पुरोला और मोरी का जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से संपर्क कट जाता है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने और राड़ी टाप में बर्फबारी की समस्या से निजात पाने के लिए यहां ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनी।
मिजोरम में तीन महीने पहले एक निर्माणाधीन रेलवे पुल गिरने से 17 मजदूरों की मौत हो गई थी। राजधानी आइजॉल से 20 किलोमीटर दूर सायरांग में यह हादसा हुआ था। घटना के दौरान 35 से 40 मजदूर पुल पर काम कर रहे थे। यह पुल बैराबी को सायरांग से जोड़ने वाली कुरूंग नदी पर बन रहा था। हादसे में 17 मजदूरों के शव मिले थे।
साभार : दैनिक भास्कर
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