नई दिल्ली. बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार झगड़ालू और निकम्मी है। बांसुरी ने AAP सरकार को अयोग्य बताया। साथ ही AAP के मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी गंभीर आरोप लगाए। भाजपा नेता बांसुरी ने कहा कि सौरभ भारद्वाज ने 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दुरुपयोग किया था। उन्होंने कहा कि सौरभ ने 13 जुलाई को चीफ सेक्रेटरी के कार्यालयों में अफसरों के बदलाव की मांग की थी और विजिलेंस विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी के ऑफिस में चोरी का भी दावा किया था।
दिल्ली सर्विसेज बिल विपक्ष के विरोध के बावजूद संसद के दोनों सदनों से पास हुआ था। 12 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद दिल्ली सर्विस बिल समेत 4 बिल कानून बन गए। दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार केंद्र को मिलने के बाद बांसुरी ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर हमला बोला। बांसुरी ने कहा- 2015 से आप की सरकार बहाना बनाती रही है। दिल्ली सर्विस बिल को पास करने के लिए मैं राष्ट्रपति को धन्यवाद देती हूं। यह कानून समय की मांग है। बहुत जरूरी है कि दिल्ली सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। अब दिल्ली प्रशासन कानून के मुताबिक काम कर सकेगी।
केंद्र ने SC के आदेश को पलटकर अध्यादेश जारी किया था
दिल्ली की प्रशासन पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और AAP सरकार लंबे वक्त से आमने-सामने है। केंद्र ने 19 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश में उसने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को मिला था। SC ने उप-राज्यपाल को पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से काम करने को कहा था।
केंद्र ने राज्यपाल को दे दिए थे ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार
केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए थे। साथ ही कहा था कि इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। हालांकि, किसी अध्यादेश को 6 महीने में संसद के पटल पर रखना होता है। इसलिए केंद्र सरकार ने 1 अगस्त को लोकसभा में गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) पेश किया। 3 अगस्त को यह बिल लोकसभा में पास हो गया। राज्यसभा में सोमवार (9 अगस्त) को दिल्ली सर्विस बिल पास हो गया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन गया।
अध्यादेश के मुकाबले दिल्ली सर्विस बिल में किए गए चार बदलाव
हालांकि, इस बिल में केंद्र सरकार ने अपने 19 मई के अध्यादेश की अपेक्षा कई अहम बदलाव किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान के जानकार विराग गुप्ता ने विस्तार से बताया है कि संसद में जो विधेयक पेश हुआ है और केंद्र सरकार जो अध्यादेश लाई थी, उसमें चार बड़े फर्क हैं।
साभार : दैनिक भास्कर
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