शिमला (मा.स.स.). भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह की गरिमा बढ़ाईं और उसे संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि 1970 में अपनी स्थापना के बाद से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अत्यंत प्रभावशाली भूमिका निभाई है। इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने कला, चिकित्सा, न्यायपालिका, खेल-कूद, समाज सेवा, राजनीति और प्रशासन सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जलवायु पूरे विश्व के लोगों को आकर्षित करती है। हिमालय का यह क्षेत्र जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से समृद्ध है। लेकिन जलवायु परिवर्तन इस क्षेत्र की इकोलॉजी को भी प्रभावित कर रहा है। राज्य की समृद्ध प्राकृतिक विरासत का संरक्षण करते हुए टिकाऊ विकास के लक्ष्य की ओर एक साथ आगे बढ़ना इस समय की मांग है। इसे देखते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों का यह कर्तव्य है कि वे स्थानीय समुदाय की जरूरतों और इस क्षेत्र की इकोलॉजी से संबंधित चुनौतियों को ध्यान में रख कर अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरण अनुकूल विकास में अपना योगदान दें।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन व सुधार की भावना विकसित करना हर एक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। उन्होंने स्नातक छात्रों से कहा कि जीवन के नए चरण में प्रवेश करते समय उन्हें अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़ना चाहिए और अपने चुने हुए क्षेत्रों में आगे बढ़ते हुए देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के युवा अपनी प्रतिभा के बल पर पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ रहे हैं। उनमें से कई ने स्टार्ट-अप्स स्थापित कर सफलता के महान उदाहरण स्थापित किए हैं। नवाचार, स्टार्ट-अप्स का मुख्य तत्व है। उन्होंने इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना कर युवाओं में उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करने की पहल की है।
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