नई दिल्ली. इंडियन एयरफोर्स ने मिग-21 लड़ाकू विमान के पूरे बेड़े के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। राजस्थान में 8 मई को क्रैश हुए मिग-21 की जांच पूरी होने तक सभी विमानों को ग्राउंडेड रखने का फैसला किया है। राजस्थान के हनुमानगढ़ में मिग-21 फाइटर जेट क्रैश में 3 महिलाओं की मौत हो गई थी। एयरफोर्स अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि हादसे की वजहों का पता लगने तक मिग विमान उड़ान नहीं भरेंगे। फिलहाल एयरफोर्स में मिग-21 की 3 स्क्वाड्रन हैं। हर स्क्वाड्रन में 16 से 18 एयरक्राफ्ट होते हैं। इस हिसाब से लगभग 50 मिग-21 सर्विस में हैं। इन्हें 2025 तक रिटायर किया जाना है। इंडियन एयरफोर्स के पास कुल 31 कॉम्बेट स्क्वाड्रन हैं।
सभी मिग 21 को उड़ान भरने से रोकना जोखिम, दुविधा में वायुसेना
भारतीय वायुसेना का मानना है कि चीन या पाकिस्तान से युद्ध हुआ, तो हमें इन दोनों देशों की साझा वायुसेना का सामना करना पड़ सकता है। इसी खतरे के मद्देनजर हमारी वायुसेना में लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन रखना तय किया गया है। हमारी एक स्क्वाड्रन में करीब 18 विमान होते हैं। हालांकि लगातार मिग 21 के क्रैश होने और नए विमान खरीदने में नाकामी के चलते आज हमारी वायुसेना 42 की जगह 32 स्क्वाड्रन से काम चला रही है। इनमें भी अकेले मिग-21 की 3 स्क्वाड्रन हैं। यही वे स्क्वाड्रन हैं जिनकी उड़ान पर रोक लगा दी गई है। इससे अचानक वायुसेना का शक्ति संतुलन बिगड़ गया है।
डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीनी सेना के पश्चिमी कमांड के पास करीब 200 लड़ाकू विमान हैं। वहीं पाकिस्तानी वायुसेना के पास करीब 350 विमान हैं। ऐसे हालात में अगर चीन या पाकिस्तान से जंग हुई तो हमारी वायुसेना के पास 125 से 150 विमानों की कमी पड़ जाएगी। मिग-21 हमारी वायुसेना में सबसे ज्यादा गश्त लागने वाले विमान भी हैं। यानी इन विमानों की उड़ान घंटे भी देश के बाकी विमानों से ज्यादा हैं। अचानक इनकी उड़ान बंद होने से वायुसेना की सामान्य गश्त और तैयारी पर भी असर पड़ेगा।
सिंगल इंजन वाला सुपरसोनिक फाइटर है मिग-21
मिग-21 सिंगल इंजन और सिंगल सीट वाला मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। इसे 1963 में इंटरसेप्टर एयरक्राफ्ट के तौर पर इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। अगले कुछ सालों में इसे अटैक फीचर्स के साथ अपग्रेड किया गया था। मिग-21 का सेफ्टी रिकॉर्ड बेहद खराब है, इसलिए भारतीय वायु सेना इसे अन्य सक्षम विमानों जैसे SU-30 और स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) से बदल रही है। इसमें देरी के कारण ही वायुसेना में MiG अब तक अपनी जगह बनाए है। 1963 के बाद से इंडियन एयर फोर्स को विभिन्न श्रेणी के 872 मिग फाइटर प्लेन मिल चुके हैं। इनमें से करीब 500 फाइटर जेट क्रैश हो चुके हैं। इन हादसों में 200 से ज्यादा पायलट्स व 56 आम लोगों को जान गंवानी पड़ी। इतनी तादाद में हादसों का शिकार होने के कारण Mig-21 उड़ता ताबूत और विडो मेकर के नाम से भी बदनाम है।
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का सबसे बड़ा ऑपरेटर
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेंबल करने के राइट्स और टेक्नीक भी हासिल कर ली थी। तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा।
साभार : दैनिक भास्कर
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