ओटावा. कनाडा और भारत के रिश्तों में लगातार खटास बढ़ती जा रही है। फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर अब खुलेआम खालिस्तानी आतंकी हिंदुओं और भारत के मिशन को धमकी दे रहे हैं। वैसे हिंदुओं और भारत के खिलाफ इस तरह की धमकी कनाडा से पहले सिर्फ पाकिस्तान में सुनने को मिलती थी। प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कनाडा में रहने वाले हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला है। कनाडा की सरकार से मौन समर्थन के कारण उसने कहा है कि हिंदू देश छोड़ दें।
इस धमकी के बाद अब ट्रूडो की पार्टी के हिंदू सांसद ही इसके विरोध में उतर गए हैं। कनाडा के सांसद चंद्रा आर्य ने हिंदू कनाडाई लोगों से शांत रहने के साथ-साथ सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने किसी भी अप्रिय घटना की सूचना कानून प्रवर्तन एजेंसियों को देने का आग्रह किया है। चंद्रा आर्य एक इंडो-कनाडाई नेता हैं, जो जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी से आते हैं। उन्होंने एक वीडियो ट्वीट में कहा, ‘कुछ दिनों पहले कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के नेता और तथाकथित जनमत संग्रह का आयोजन करने वाले सिख फॉर जस्टिस के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नून ने हिंदू कनाडाई लोगों पर हमले की धमकी दी है और उन्हें कनाडा छोड़कर भारत वापस जाने को कहा है।’
ज्यादातर सिख खालिस्तान समर्थक नहीं
आर्य ने आगे कहा, ‘मैंने कई हिंदू कनाडाई लोगों को सुना जो इस हमले से डरे हुए हैं। मैं हिंदू कनाडाई लोगों से शांत और सतर्क रहने का आग्रह करता हूं। कृपया हिंदूफोबिया की किसी भी घटना की सूचना स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दें।’ उन्होंने आगे कहा कि खालिस्तान समर्थक नेता हिंदुओं को उकसाने में लगे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कनाडा में रहने वाले ज्यादातर सिख भाई-बहन खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते हैं। अधिकांश सिख कई कारणों से खालिस्तान आंदोलन की सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे हिंदू-कनाडाई समुदाय से गहराई से जुड़े हुए हैं। खालिस्तानी हिंदू और सिखों को बांटने में लगे हैं।
ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं
उन्होंने कहा कि कई हिंदू सिख पारिवारिक रिश्तों और साझा सामाजिक सांस्कृतिक संबंधों से जुड़े हुए हैं। खालिस्तान समर्थक कनाडा में पहले भी हिंदू मंदिरों को निशाना बनाते रहे हैं। आर्य ने आगे कहा कि खालिस्तान आंदोलन के नेता का यह भड़काऊ बयान मंदिरों पर हमला और बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि कनाडा में उच्च नैतिक मूल्य हैं और हम पूरी तरह से कानून का समर्थन करते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद का महिमामंडन और घृणा अपराध को अनुमति देने पर निराशा जाहिर की।
साभार : नवभारत टाइम्स
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