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उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ मंदिर से 23 किलो सोना चोरी होने की जांच के लिए बनाई कमेटी

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देहरादून. केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने मंदिर को दान में मिला 23.78 किलो सोना चोरी होने का आरोप लगाया है। यह सोना मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर परत के रूप में लगाया गया था, जिसे मुंबई के एक व्यापारी ने दान किया था। त्रिवेदी का आरोप है कि मंदिर के गर्भगृह में पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में सोने की परत चढ़ाने का काम हुआ था। जब सोने की प्लेटें लगाई गईं थीं, तो अब उन्हें पॉलिश करने की क्या जरूरत थी। लिहाजा इसकी जांच जरूरी है।

वहीं, कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मंत्री नवप्रभात का कहना है कि एक दानदाता के सोना दान करने पर संदेह किया जा रहा है। दान में कितना सोना मिला? तांबे में सोना क्यों मिलाया गया? ऐसे कई सवाल हैं। केदारनाथ ही नहीं बद्रीनाथ में भी ऐसा घोटाला होने की जानकारी मिल रही है। बढ़ते विवाद के बीच अब उत्तराखंड सरकार ने संस्कृति एवं धार्मिक मामलों के सचिव हरिचंद्र सेमवाल और गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई है। राज्य के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को कहा- कमेटी में विशेषज्ञों के साथ स्वर्णकार भी होंगे। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री सतपाल बोले- विपक्ष जबरन तूल दे रहा

सतपाल ने विवाद बढ़ने पर कहा कि सोना चढ़ाने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया था। एक दानदाता ने सोना खरीदा और इसे गर्भगृह की दीवारों पर जड़वाया। इसमें मंदिर समिति की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। काम पूरा होने के बाद इसका बिल और अन्य कागजात दानदाता ने मंदिर समिति के पास जमा कर दिए। विपक्षी दल मामले को जबरन तूल देकर चारधाम यात्रा में खलल डालने की कोशिश कर रहे हैं।

मंदिर समिति ने कहा था- आरोप झूठे हैं
इससे पहले, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने आरोप झूठे बताए थे। कमेटी ने कहा था कि गर्भगृह में 23.78 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया है। सोने की परत चढ़ाने के काम में तांबे की प्लेटों का इस्तेमाल बेस के रूप में किया गया है। इसका कुल वजन करीब 1 हजार किलो से ज्यादा था, जिसकी कीमत 29 लाख रुपए थी।

एक वीडियो वायरल होने के बाद घोटाले का आरोप लगाया गया

18 जून को गौतम नौटियाल नाम के ट्विटर हैंडलर ने मंदिर के गर्भगृह में पॉलिशिंग का एक वीडियो शेयर किया था। इसमें गर्भगृह में कुछ कारीगर गोल्ड पॉलिश करते नजर आ रहे थे। वीडियो बनाने वाला शख्स इन लोगों से पॉलिश करने की वजह पूछता नजर आया। साथ ही उसने कारीगरों से सवाल भी किया कि मंदिर बंद होने के बाद रात में यह काम क्यों किया जा रहा है।

वीडियो के सामने आने के बाद तीर्थ पुरोहितों ने दोबारा मोर्चा खोल दिया। वे पहले ही गोल्ड प्लेटिंग के विरोध में थे। संतोष त्रिवेदी का आरोप है कि केदारनाथ धाम में लगाया गया 23 किलो सोना चोरी हो गया है, क्योंकि जब सोने की प्लेटें लगाई गईं थीं, तो पॉलिश करने की क्या जरूरत थी। गर्भगृह की दीवारों पर केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है। यह काम चोरी-छिपे किया जा रहा है। जिसके बारे में न तो पुरातत्व विभाग को पता था, न तीर्थ पुरोहितों को। अब इसकी जांच जरूरी हो गई है।

अक्टूबर 2022 में पूरा हुआ था गोल्ड प्लेटिंग का काम
केदारनाथ में पिछले साल सितंबर से अक्टूबर के बीच सोने की परत चढ़ाने का काम पूरा हुआ था। इसके पहले मुंबई के एक व्यापारी ने 23 किलो सोना मंदिर समिति को दान किया था। जिसके बाद गर्भगृह की दीवारों और छत को 550 सोने की प्लेट्स से मढ़ा गया था। गोल्ड प्लेटिंग का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दो अधिकारियों की देखरेख में हुआ था। करीब 19 कारीगरों ने इस काम को पूरा किया।

एक्सपर्ट्स की देखरेख में गोल्ड प्लेटिंग का काम हुआ था
सोने की परत चढ़ाने से पहले IIT रुड़की, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च रुड़की और ASI की 6 सदस्यों की टीम ने केदारनाथ का दौरा किया था और गर्भगृह का निरीक्षण किया था। इनकी रिपोर्ट के बाद ही सोना लगाने का काम शुरू हुआ। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के मुताबिक यह काम 3 दिनों में पूरा हो गया था।

सोने की परत चढ़ाने का जमकर विरोध हुआ था

सितंबर 2022 में जब यह खबर सामने आई कि केदारनाथ धाम में सोने की परत चढ़ाई जानी है तो इसका जमकर विरोध हुआ था। तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी का कहना था कि केदारनाथ मोक्षधाम है और मोक्षधाम में सोना नहीं लगाया जाता। उन्होंने यह भी कहा था कि परत चढ़ाने के लिए ड्रिल मशीन का इस्तेमाल किया गया, जिससे गर्भगृह की पांडवकालीन दीवारों को नुकसान हुआ।

साभार : दैनिक भास्कर

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