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मणिपुर हिंसा : अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक, शामिल हुए कई विपक्षी नेता

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इंफाल. मणिपुर में शनिवार को राज्य सरकार के मंत्री एल सुसींद्रो के घर पर भीड़ ने हमला बोल दिया। उनके निजी गोदाम और वहां खड़ी 2 गाड़ियों को आग लगा दी गई। सुरक्षा बलों ने मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पाया और मंत्री के घर में घुसने की कोशिश कर रही भीड़ को भगाया। सुसींद्रो कंज्यूमर एंड फूड अफेयर्स और पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के मंत्री हैं। वे मैतेई समुदाय से आते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोदाम में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के करोड़ों रुपए के पाइप रखे हुए थे, जो आगजनी में पूरी तरह जलकर खाक हो गए। भीड़ ने पूर्वी इंफाल में साजीवा जेल के पास स्थित भाजपा दफ्तर में भी आग लगा दी।

उधर, मणिपुर में 52 दिनों से जारी हिंसा को लेकर आज दिल्ली में ऑल पार्टी मीटिंग हुई। यह मीटिंग 3 घंटे तक चली। संसद भवन में हुई बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल हुए। बैठक में TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, AAP सांसद संजय सिंह, RJD सांसद मनोज कुमार झा, NCP महासचिव नरेंद्र वर्मा, मणिपुर के NCP चीफ सोरन इबोयिमा और CPI(M) के सांसद जॉन ब्रिटास समेत कई विपक्षी नेता भी पहुंचे।

TMC ने की मणिपुर में ऑल पार्टी डेलिगेशन भेजने की मांग
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने मणिपुर में अगले हफ्ते ऑल पार्टी डेलिगेशन भेजने की मांग की है। पार्टी ने अपने बयान में कहा कि अब तक केंद्र सरकार का रुख अनदेखी का रहा है। अब इसमें बदलाव की जरूरत है। वहीं, CPI सांसद बिनॉय विश्वम ने ट्वीट कर अमित शाह से पूछा है कि उनकी पार्टी को मीटिंग में क्यों नहीं बुलाया गया।

जयराम रमेश बोले- पीएम को करनी चाहिए थी मीटिंग की अध्यक्षता
इस बैठक से पहले शनिवार को कांग्रेस ने भाजपा पर फिर निशाना साधा। जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर कहा कि मणिपुर 52 दिनों से जल रहा है और गृहमंत्री ने अब जाकर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक की अगुआई असल में पीएम मोदी को करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने अब तक चुप्पी साध रखी है। उन्होंने कहा कि 2002 से 2017 के बीच तीन बार सीएम रहकर मणिपुर को विकास और शांति की राह पर लेकर आने वाले ओकराम इबोबी सिंह इस बैठक में कांग्रेस की तरफ से पक्ष रखेंगे। उनके अनुभव और गहरे ज्ञान को देखते हुए सभी को गंभीरता से उनकी बात सुननी चाहिए।

मणिपुर के शिक्षा मंत्री बोले- पिछले महीने इंफाल में भी बुलाई थी ऑल-पार्टी मीटिंग
जयराम रमेश के ट्वीट पर मणिपुर के शिक्षा मंत्री बसंता सिंह ने कहा कि जयराम रमेश को पता नहीं है कि पिछले महीने इंफाल में एक ऑल-पार्टी मीटिंग हो चुकी है। इस मीटिंग में पूर्व CM और कई कांग्रेस नेता शामिल हुए थे। अमित शाह के मणिपुर दौरे के समय भी विपक्षी पार्टियों की मीटिंग बुलाई गई थी।

  • मणिपुर हिंसा में अब तक 110 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। वहीं, 40 हजार से ज्यादा लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं।
  • 4 मई से बंद स्कूलों की छुट्टियां 1 जुलाई तक बढ़ा दी गई हैं। इस बीच मणिपुर के 1,500 बच्चों ने मिजोरम के स्कूलों में एडमिशन ले लिया है।
  • राज्य में इंटरनेट बैन को भी 25 जून तक बढ़ा दिया गया है, हालांकि मणिपुर HC ने राज्य सरकार को सीमित नेट सेवा प्रदान करने का निर्देश दिया है।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

  • मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
  • कैसे शुरू हुआ विवाद:मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
  • मैतेई का तर्क क्या है:मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
  • नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं:बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
  • सियासी समीकरण क्या हैं:मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

साभार : दैनिक भास्कर

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