बुधवार, अप्रैल 09 2025 | 03:22:44 AM
Breaking News
Home / राज्य / उत्तरप्रदेश / योगी आदित्यनाथ ने गोरक्ष पीठ के दंडाधिकारी बन लगाई संतों की अदालत

योगी आदित्यनाथ ने गोरक्ष पीठ के दंडाधिकारी बन लगाई संतों की अदालत

Follow us on:

लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में नवमी पूजन करने के बाद दशहरा मना रहे हैं। योगी गोरक्षपीठाधीश्वर के विशेष परिधान में सीएम योगी ने पीठ की परंपरा का अनुसरण करते हुए मंगलवार सुबह 9 बजे से विधि-विधान पूर्वक श्रीनाथजी की पूजा-आराधना की। इस विशिष्ट पूजन की शुरुआत गोरखनाथ मंदिर में शक्तिपीठ से हुई, जहां नवरात्र प्रतिपदा से अनुष्ठान चल रहे थे। शक्तिपीठ में वेदी पूज के बाद सीएम मंदिर के अन्य साधु-संतों के साथ संस्कृत विद्यापीठ के आचार्यगण और वेदपाठी छात्रों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्रीनाथजी के मुख्य मंदिर पहुंचे और विधि-विधान पूर्वक उनकी पूजा की और आरती उतारी।

योगी ने की श्रीनाथ जी विशेष पूजा
साथ ही मंदिर में प्रतिष्ठित सभी देव विग्रहों का विशिष्ट पूजन किया। मुख्यमंत्री ने करबद्ध होकर श्रीनाथ जी और सभी देव विग्रहों की परिक्रमा भी की। इस दौरान नाथपंथ के परंपरागत विशेष वाद्य यंत्र नागफनी, शंख, ढोल, घंट, डमरू की गूंज से पूरा मंदिर परिसर भक्ति सागर में हिलोरें ले रहा था। इसके बाद सीएम योगी ने मंदिर में ही कन्या पूजन किया। सीएम ने पहले कुंवारी कन्याओं और बटूक भैरो के थाल में पैर धूले और फिर उन्हें अपने हाथों से परोसकर भोजन कराया। भोजन के बाद सीएम ने सभी को दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया और विदा किया।

योगी करेंगे संतों के विवादों का निपटारा
गोरक्षपीठ में विजयदशमी पर संतों की अदालत लगती है और दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं गोरक्षपीठाधीश्वर। नाथपंथ की परंपरा के अनुसार हर साल विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर द्वारा संतों के विवादों का निस्तारण किया जाता है। दरअसल, योगी आदित्‍यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारत वर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्‍यक्ष भी हैं। इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं। गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी को पात्र पूजा का कार्यक्रम होता है। इसमें गोरक्षपीठाधीश्वर संतो के आपसी विवाद सुलझाते हैं। विवादों के निस्तारण से पहले संत पात्र देव के रूप में योगी आदित्यनाथ का पूजन करते हैं। पात्र देवता के सामने सुनवाई में कोई भी झूठ नहीं बोलता है। पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन का पर्याय माना जाता है।

साभार : दैनिक भास्कर

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www।amazon।in/dp/9392581181/

https://www।flipkart।com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

रामनवमी पर अयोध्या में रामलला का 4 मिनट तक हुआ सूर्य तिलक

लखनऊ. रामनवमी पर अयोध्या में रामलला का जन्मोत्सव मनाया गया। जन्म के बाद उनका अभिषेक …

News Hub