पटना. बिहार की सियासी गलियारे से बड़ी खबर आ रही। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अपना पद छोड़ दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा नीतीश कुमार को भेज दिया है। हालांकि, इस पर फैसला 29 को जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में लिया जा सकता है। टाइम्स नाउ नवभारत और अन्य मीडिया चैनलों के मुताबिक, उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। खबर है कि नीतीश कुमार जेडीयू अध्यक्ष बन सकते हैं। सियासी गलियारे में लगातार ऐसी खबरें आ रही थी कि ललन सिंह कुछ नाराज चल रहे हैं। वो अपना पद छोड़ने की पेशकश लगातार कर रहे थे, हालांकि नीतीश कुमार उन्हें मनाने में जुटे थे। इसी बीच खबर आई है कि ललन सिंह ने जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी खबरें सामने आई हैं। हालांकि, जेडीयू की ओर से अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
ललन सिंह ने नीतीश को भेजा इस्तीफा!
बिहार सीएम नीतीश कुमार से एक दिन पहले ही ललन सिंह को लेकर सवाल किया गया था। बीजेपी नेता सुशील मोदी के जेडीयू में फूट और अध्यक्ष ललन सिंह के हटाए जाने वाले बयान पर नीतीश से मीडियाकर्मियों ने सवाल किए थे। उस समय नीतीश ने कहा था कि कौन क्या बोलते हैं, हम ध्यान नहीं देने जा रहे। आजकल कुछ लोग जो मन में आता है, वह बोलते रहते हैं, जिससे उसको फायदा मिले। लेकिन, इससे किसी को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।
29 को लग सकती है फैसले पर मुहर
नीतीश कुमार ने जिस तरह से जवाब दिया इससे लगा कि वो चाहते हैं कि ललन सिंह से जुड़ा विवाद जल्द सुलझ जाए। हालांकि, अब टाइम्स नाउ नवभारत समेत अलग-अलग मीडिया चैनल पर ये खबर आई है कि ललन सिंह ने अपना पद छोड़ दिया है। JDU अध्यक्ष ने पद से इस्तीफा दे दिया है। ये बड़ा सियासी घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब 29 दिसंबर को दिल्ली में जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है। ऐसा कहा जा रहा ललन सिंह की लालू यादव से नजदीकी के चलते पूरा विवाद बढ़ा। जिसके बाद ललन सिंह को इस्तीफे के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस दिग्गज को मिल सकता है जेडीयू अध्यक्ष पद
खबर ये भी है कि ललन सिंह ने अपना इस्तीफा नीतीश कुमार को भेज दिया है। हालांकि, इस पर 29 दिसंबर को मुहर लग सकती है। वहीं नीतीश कुमार खुद अगले पार्टी अध्यक्ष बन सकते हैं। चर्चा ये भी है कि नीतीश कुमार अपने किसी करीबी को अध्यक्ष पद का जिम्मा दे सकते हैं। इस रेस में सबसे आगे अशोक चौधरी का नाम नजर आ रहा। फिलहाल बिहार की सत्ताधारी पार्टी में चल रहे इस बड़े सियासी घटनाक्रम पर 29 दिसंबर को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में पूरी तस्वीर साफ हो सकती है।
साभार : नवभारत टाइम्स
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं