नई दिल्ली. भारत-अमेरिका के बीच ड्रोन सौदे को लेकर विपक्षी पार्टी ‘कांग्रेस’ ने सवाल खड़े किए और खरीद समझौते में पूरी पारदर्शिता की मांग की थी। इस बीच, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को दावा किया भारत के लिए एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन की उन अन्य देशों की कीमत से 27 फीसदी कम कीमत में खरीद रहा है, जिन्होंने इसे अमेरिका से खरीदा है। उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि भारत अगर अतिरिक्त उपकरण की मांग नहीं करता है तो बातचीत के दौरान इसकी कीमत और नीचे जा सकती है।
क्या है कांग्रेस का आरोप?
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर कई संदेह उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हम इस प्रीडेटर ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग करते हैं। भारत को महत्वपूर्ण सवालों के जवाब चाहिए। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि अबतक मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर बातचीत शुरू नहीं हुई है, क्योंकि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन खरीदने के समझौते को मंजूरी दी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि कीमत का मुद्दा इसका हिस्सा नहीं है। हालांकि, अमेरिकी सरकार द्वारा बनाए गए ड्रोन की अनुमानित लागत 3,072 मिलियन यूएस डॉलर है।
सूत्र के मुताबिक, हर एक ड्रोन की अनुमानित लागत लगभग 99 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। साथ ही उन्होंने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को प्रति ड्रोन 161 मिलियन यूएस डॉलर की लागत आई थी। उन्होंने कहा कि भारत जिस एमक्यू-9बी ड्रोन को खरीदना चाहता है, वह यूएई के बराबर है, लेकिन उसका कॉन्फ़िगरेशन यूएई वाले ड्रोन की तुलना में काफी बेहतर है।
ड्रोन समझौता
भारत और अमेरिका ने 31 ‘हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस’ (HALE) ड्रोन के लिए तीन अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से नौसेना को 15 ‘सीगार्जियन’ ड्रोन मिलेंगे, जबकि थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ ‘स्काईगार्जियन’ प्राप्त होंगे।
UK ने ड्रोन के लिए कितना पैसा किया खर्च?
यूके द्वारा खरीदे गए सोलह में से एक ड्रोन की कीमत 69 मिलियन यूएस डॉलर थी, लेकिन यह ग्रीन एयरक्राफ्ट था। जिसका तात्पर्य है कि यह विमान निर्माण के तत्काल बाद दिया गया है और इसमें सेंसर, हथियार जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। ऐसे में गुरुवार को रक्षा मंत्रालय के सूत्र ने स्पष्ट किया कि 31 एमक्यू 9 बी ड्रोन की खरीद से वायु सेना भी सहमत है। वस्तुत: यह अमेरिकी ड्रोन भारत को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की गतिविधियों से मुकाबले के लिए ज्यादा मजबूती से तैयार करेगा।
और कम हो सकती है ड्रोन की कीमत
अधिकारी ने यह भी बताया कि फिलहाल एक ड्रोन की कीमत 99 मिलियन डॉलर मानी जा रही है जो ब्रिटेन, यूएई, मोरक्को जैसे देशों को दिए गए कीमत के मुकाबले काफी कम है। अधिकारी ने यह भी संकेत दिया कि जब बात कीमत पर बातचीत शुरू होगी तो इसकी कीमत और नीचे आ सकती है बशर्ते भारत उसमें कुछ और अत्याधुनिक उपकरण लगाना चाहे।
अधिकारी ने आशंका जताई कि इस उन्नत ड्रोन की खरीद से भारत की रक्षा क्षमता में होने वाली बढ़ोत्तरी से कुछ देश परेशान होंगे और वह नही चाहेंगे कि यह सौदा हो। बहरहाल दोनो देशों के बीच पूरा समझौता और सौदा होने के बाद भारत 11 ड्रोन तत्काल खरीदेगा और बाकी का निर्माण भारत में होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सौदा अमेरिका के फारेन मिलिट्री सेल्स के तहत हो रही है जिसमें केवल मित्र देशों को यह सुविधा दी जाती है। इस सौदे में अमेरिकी सरकार कोई मुनाफा नहीं कमाएगी।
साभार : दैनिक जागरण
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं