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भारतीय स्टार्टअप्स वैश्विक मानक स्थापित कर रहे हैं : डॉ. जिंतेंद्र सिंह

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नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारतीय स्टार्टअप्स और अनुसंधान व विकास के परिणाम वैश्विक मानदंड स्थापित कर विश्व की बराबरी कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने वैश्विक रैंकिंग में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह नई दिल्ली में श्री पद्मावती वेंकटेश्वर फाउंडेशन के श्री रामकृष्ण परमहंस अनुदान पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे।डॉ. सिंह ने साइलो में काम करने को लेकर चेताया। उन्होंने सामूहिक प्रयासों का लाभ उठाने के लिए शिक्षा, स्टार्टअप्स, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग जैसे सभी हितधारकों के बीच समन्वय विकसित करने का आह्वाहन किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत को वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास में अग्रणी भूमिका निभाने की जरूरत है। सरकार ने भारत को साल 2025 तक टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। कोविड महामारी के दौरान जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने विश्व के पहले डीएनए आधारित टीके का निर्माण किया था।

डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दो वर्षों को छोड़ दिया जाए, तो पिछले तीन से पांच दशकों में यह व्यापक परिघटना है कि भारत संचारी से गैर-संचारी रोगों की ओर बढ़ गया है। उन्होंने बताया, “एक समूह ने गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के प्रबंधन के लिए डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश तैयार किया है, जिससे मैं भी जुड़ा हुआ हूं।” केंद्रीय मंत्री ने उभरते नये वैज्ञानिकों को सम्मानित करने के लिए श्री पद्मावती वेंकटेश्वर फाउंडेशन की सराहना की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पश्चिम के विपरीत, भारत में अभी भी परोपकार की संस्कृति का विकास होना है। इसके अलावा उन्होंने सरकारी प्रयासों को दोगुना करने के लिए अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में और अधिक निजी भागीदारी की पैरवी की। मंत्री ने कहा कि प्रतिष्ठित पेशेवरों के लिए समाज को वापस देने व समाज के लिए उपयोगी होने के बराबर और कोई शानदार काम नहीं है। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव चिकित्सा विज्ञान और कृषि विज्ञान में परमहंस अनुदान पुरस्कार प्रदान किए।

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