नई दिल्ली. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ सपोर्ट जुटाने की मुहिम पर हैं। पिछले कुछ दिनों में वह देशभर में तमाम विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर चुके हैं। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। हालांकि, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का रुख इसे लेकर थोड़ा अलग दिख रहा है। वह केंद्र सरकार के अध्यादेश को सपोर्ट करने की मंशा दिखा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने बुधवार को इसके संकेत दे दिए हैं।
उन्होंने कहा कि वह दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश ( Ordinance against Delhi government) का समर्थन करेंगे। इसे हाल ही में लाया गया था। इसमें दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव किया गया है। संदीप दीक्षित का यह बयान सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी है। दीक्षित ने यह भी कहा कि केजरीवाल अच्छी तरह जानते हैं कि अगर उन्होंने विजिंलेंस डिपार्टमेंट पर कंट्रोल हासिल नहीं किया तो उन्हें कम से कम 8-10 साल की जेल होगी।
राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपे जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक हफ्ते बाद केंद्र ने अध्यादेश जारी किया था। इसमें नेशनल सिविल सर्विस अथॉरिटी के गठन की बात कही गई है। यही दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति से जुड़े फैसले लेगा। संदीप दीक्षित ने कहा है कि वह दिल्ली सरकार के खिलाफ अध्यादेश का समर्थन करते हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अच्छी तरह से पता है कि उन्होंने विजिलेंज डिपार्टमेंट को कंट्रोल नहीं किया तो उन्हें कम से कम 8-10 साल की जेल होगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश के विरोध में समर्थन जुटाने के लिए तमिलनाडु और झारखंड के अपने समकक्षों से मिलने वाले हैं। उन्होंने बुधवार को ट्वीट किया, ‘केंद्र के असंवैधानिक – अलोकतांत्रिक ‘दिल्ली विरोधी’ अध्यादेश के खिलाफ डीएमके का समर्थन लेने के लिए कल (1 जून) चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात करूंगा। दिल्ली के सीएम ने लिखा ‘परसों 2 जून को मैं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मिलूंगा। मोदी सरकार की ओर से दिल्ली की जनता के खिलाफ लाए गए अध्यादेश के खिलाफ उनका समर्थन मांगूंगा।’
केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने का अध्यादेश जारी किया था। इसे AAP सरकार ने सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा करार दिया है। अध्यादेश लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसे बदलने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले तक दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का कंट्रोल एलजी के पास था।
साभार : नवभारत टाइम्स
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