जम्मू. जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में आतंकवादियों ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के दो लोगों को गोली मार दी। एक अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार शाम को मध्य कश्मीर जिले के मागाम के मजहामा इलाके में गोली लगने से सूफियान और उस्मान घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया और उनकी हालत स्थिर बताई गई है। घटना के बाद सूचना मिलने पर पहुंची सुरक्षाबलों की टीम ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी और आतंकियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ है।
डोडा जिले में आतंकियों के दो समूह सक्रिय : एसएसपी
चिनाब घाटी के डोडा जिले में वर्तमान समय में दो आतंकी समूह सक्रिय हैं। यह जानकारी जिले के एसएसपी मोहम्मद असलम ने दी। एसएसपी ने वीरवार को कहा, जिले में स्थानीय आतंकियों के किसी गतिविधि में शामिल होने के कोई सबूत नहीं है। यहां तक कि स्थानीय नागरिकों ने आतंकियों का समर्थन करने से इन्कार कर दिया है। इलाके में तलाशी अभियान जारी है। सुरक्षा बल सतर्क हैं और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं। पुलिस अधिकारी ने कहा, हालांकि हम यह नहीं कह सकते कि स्थानीय आतंकी पूरी तरह से अनुपलब्ध हैं। कोई स्थानीय आतंकवादी नहीं हैं।
पहले गई थी सात मजदूरों की जान
इससे पहले 20 अक्तूबर को गांदरबल में सोनमर्ग के पास गगनगीर इलाके में जेड मोड़ सुरंग निर्माण कर रही कंपनी में कार्यरत प्रवासी मजदूरों पर आतंकियों ने हमला किया था। जिसमें सात लोगों की मौत हुई थी। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा के सहयोगी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी।
शोपियां में बिहार के मजदूर की हत्या पर निकला था विरोध मार्च
ज्ञात हो कि 18 अक्तूबर को आतंकियों ने बिहार के मजदूर की शोपियां में गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोलियों से छलनी उसका शव सड़क किनारे पड़ा मिला था। इस घटना के विरोध में नागरिक समाज और कॉलेज के छात्रों ने अगले दिन 19 अक्तूबर को विरोध मार्च निकालकर शांति की अपील की थी। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने घटना की निंदा की थी। इसके अगले दिन आतंकियों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया।
कश्मीर में बड़े स्तर पर बाहरी मजदूर
बता दें कि कश्मीर के अलग अलग जिलों में चलने वाली तमाम बड़ी परियोजनाओं में प्रवासी मजदूर काम करते हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब के मजदूर कश्मीर में सेब के बागों और इसकी पैकिंंग में काम करते हैं। निर्माण कंपनियों के विभिन्न प्रोजेक्ट में ये काम करते हैं। यहां तक कि कश्मीर में स्थानीय स्तर पर फल सब्जी बेचने वालों में भी इनकी बड़ी संख्या है। रेलवे की योजनाओं में भी इन मजदूरों से काम लिया जाता है।
साभार : अमर उजाला
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