माले. चीन के इशारे पर नाच रहे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक बार फिर से भारत को गीदड़भभकी दी है। मुइज्जू ने संसद में दिए अपने पहले भाषण में कहा कि मालदीव देश की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी ऐक्शन को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मालदीव की सेना जल्द ही अपने पूरे विशेष आर्थिक जोन में 24 घंटे निगरानी करने में सक्षम हो जाएगी। मुइज्जू का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब मालदीव ने आरोप लगाया है कि भारतीय कोस्ट गार्ड ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए माले की मछली पकड़ने वाली नौका धावा बोला था। मालदीव ने भारत से जवाब भी मांगा हुआ है। वहीं अब चीन की मालदीव को लेकर खतरनाक योजना का खुलासा हुआ है।
मुइज्जू ने संसद में दिए अपने बयान में कहा कि भारतीय सैनिकों का पहला जत्था 10 मार्च को यहां से लौट जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह आधिकारिक रूप से सूचित किया जाता है कि मालदीव भारत के साथ समझौते का नवीनीकरण नहीं करेगा जो नई दिल्ली को मालदीव की सीमा और समुद्री इलाके को निर्धारित करने का अधिकार देता है।’ मुइज्जू के इस भारत विरोधी बयान के बीच अब खुलासा हुआ है कि मालदीव की सरकार चीन को हिंद महासागर के अंदर अपनी जमीन पर समुद्री निगरानी केंद्र बनाने की मंजूरी दे सकती है। मुइज्जू ने यह भी कहा कि उनकी सरकार मालदीव की सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों को मजबूत करेगी ताकि खतरों से निपटा जा सके।
मालदीव में चीन बना सकता है समुद्री आंख
मालदीव के राष्ट्रपति ने यह नहीं बताया कि 24 घंटे कैसे वह अपने विशेष आर्थिक जोन की निगरानी करेगा लेकिन भारत में इस बात को लेकर चिंता पैदा हो गई है कि चीन मालदीव के मकूनूधू द्वीप पर समुद्री निगरानी केंद्र बना सकता है। इससे पहले मुइज्जू के करीबी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने साल 2017 में चीन को एक ऑब्जरवेटरी बनाने की अनुमति दे दी थी। भारत ने मालदीव के इस कदम का कड़ा विरोध किया था और माले को इस पूरे मामले को लेकर संवेदनशील होने के लिए कहा था। अब्दुल्ला यामीन के चुनाव में हार के बाद सत्ता से हटने पर भारत समर्थक इब्राहिम सोलिह सत्ता में आए थे और उन्होंने इस परियोजना को रद कर दिया था।
अब यामीन के करीबी मुइज्जू सत्ता में आए हैं और वह फिर से अपने देश को चीन का गुलाम बनाने में जुट गए हैं। भारत में अब इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि चीन जल्द ही मालदीव को इस समुद्री निगरानी केंद्र को बनाने के लिए दबाव डाल सकता है। इससे चीन की नौसेना की हिंद महासागर तक पकड़ मजबूत हो जाएगी। मालदीव और चीन दोनों ही इस निगरानी केंद्र को मालदीव के विशेष आर्थिक जोन की निगरानी के लिए जरूरी बता सकते हैं लेकिन यह भारत के पड़ोस में चीन का एक और रणनीतिक असेट बन जाएगा। मुइज्जू ने कहा है कि उनका देश किसी भी दबाव में नहीं आएगा जो संप्रभुता को कमजोर करता हो। यह चिंता ऐसे समय पर जताई गई है जब चीन का जासूसी जहाज जल्द ही माले में लंगर डालने जा रहा है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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