वाशिंगटन. अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को माइक्रो RNA पर उनके काम के लिए चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. माना जाता है कि माइक्रो आरएनए पर किए गए इन रिसर्च ने यह समझाने में मदद की कि हमारे जीन मानव शरीर के अंदर कैसे काम करते हैं और यह मानव शरीर के विभिन्न ऊतकों को कैसे जन्म देते हैं. चिकित्सा क्षेत्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली की ओर से किया जाता है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि उनकी खोज से जीन विनियमन का एक नया सिद्धांत सामने आया है जो मनुष्यों सहित बहुकोशिकीय जीवों के लिए बहुत जरूरी साबित हुआ है.
एक हजार से अधिक माइक्रो आरएनए को कोड करता है
रिसर्च से पता चला है कि मानव जीनोम एक हजार से अधिक माइक्रो आरएनए को कोड करता है, लेकिन समान आइडेंटिकल जेनेरिक इन्फॉर्मेशन से शुरू होने के बावजूद, मानव शरीर की कोशिकाएं आकार और कार्य में बेहद भिन्न होती हैं. तंत्रिका कोशिकाओं के इलेक्ट्रिकल इंपल्स हृदय कोशिकाओं की लयबद्ध धड़कन से भिन्न होते हैं. मेटाबॉलिक पॉवरहाउस जो कि लिवर सेल हैं, वो गुर्दे की कोशिका से भिन्न होती है जो रक्त से यूरिया को फिल्टर करती है. रेटिना में कोशिकाओं की प्रकाश-संवेदन क्षमताएं व्हाइट ब्लड सेल्स की तुलना में भिन्न होती हैं जो संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं.
पुरस्कार पर क्या बोला नोबेल असेंबली?
नोबेल असेंबली ने कहा कि वैज्ञानिकों की खोज जीवों के विकास और कार्य करने के तरीके के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो रही है. एम्ब्रोस ने शोध किया जिसके कारण उन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पुरस्कार मिला. वह वर्तमान में मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल विश्वविद्यालय में नेचुरल साइंस के प्रोफेसर हैं. नोबेल समिति के महासचिव थॉमस पर्लमैन ने कहा, रुवकुन का रिसर्च मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में किया गया, जहां वह आनुवंशिकी के प्रोफेसर हैं. पर्लमैन ने कहा कि उनकी ओर से घोषणा किए जाने से कुछ समय पहले रुवकुन से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा कि फोन पर आने में उन्हें काफी समय लगा और वो बहुत थके हुए लग रहे थे, फिर वह उत्साहित और खुश थे.
पिछले साल किसे मिला था चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार?
पिछले साल चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार हंगेरियन-अमेरिकी कैटालिन कारिको और अमेरिकी ड्रू वीसमैन को दिया गया था, जिन्होंने कोविड -19 के खिलाफ एमआरएनए टीकों के निर्माण को सक्षम किया था जो देशव्यापी कोरोना महामारी की रफ्तार को धीमा करने में अहम भूमिका निभाई थी.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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