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विनेश फोगाट ने कुश्ती से लिया संन्यास

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नई दिल्ली. कहते है कि वक्त कब पलट जाए इसका किसी को जरा-सा भी अंदाजा नहीं होता। कभी-कभी जीतने के बावजूद पूरी दुनिया के सामने आप ‘लूजर’ कहलाते हैं।समय का पहिया घूमता जरूर है, लेकिन वो कभी गलत नहीं हो सकता। अगर आपकी मेहनत और लगन सच्ची है तो कामयाबी आपको बिना जीत हासिल किए ही मिल जाती है। पूरा देश इस वक्त कुछ ऐसा ही ट्वीट कर भारतीय महिला रेसलर विनेश फोगाट का हौसला बढ़ाने में लगा हुआ है। विनेश भारत की असली चैंपियन, जिन्होंने अपने करियर में काफी बार ठोकरें खाई। 7 अगस्त को भी उनके साथ ऐसा ही कुछ हुआ, जहां वह 100 ग्राम वजन बढ़ने की वजह से पेरिस ओलंपिक 2024 से डिसक्वालिफाई कर दी गई।

इससे विनेश फोगाट अंदर ही अंदर टूट गईं और 8 अगस्त की सुबह जहां सभी सो रहे थे, तो वहीं 5 बजकर 17 मिनट पर भारतीय महिला रेसलर विनेश (Vinesh Phogat Retirement) ने अपने एक्स पर संन्यास का एलान कर दिया। ये फैसला दिल पर पत्थर रखकर ही जरूर विनेश ने लिया होगा, क्योंकि डिसक्वालिफाई होने के बाद इस वक्त विनेश ही समझ सकती है कि वह किस स्थिति से गूजर रहीं है। उनके कुश्ती को अलविदा कहना फैंस के लिए ये काफी शौकिंग खबर हैं। दरअसल, भारतीय महिला रेसलर विनेश फोगाट अब रेसलिंग मैट पर नजर नहीं आएगी। उन्होंने अपने एक्स पर पोस्ट डालकर संन्यास का एलान किया। तीन ओलंपिक में भारत के लिए हिस्सा ले चुकीं विनेश फोगाट ने संन्यास का एलान करते हुए लिखा कि मां कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके और इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी माफी।

भारत की सबसे बेहतरीन पहलवानों में से एक मानी जाने वाली विनेश फोगाट का जन्म 1994 में हुआ। विनेश के ताऊ महावी सिंह ने फोगाट और उनकी बहन बबीता फोगाट को बेहद कम समय में कुश्ती से परिचय कराया था। विनेश अपनी चचेरी बहन गीता और बबीता के नक्शेकदम पर चली और वह उस वक्त महज 9 साल की थी, जब उनके पिता का निधन हो गया था। विनेश के ताऊ जी ने दोनों बहनों को कुश्ती सिखाना शुरू किया और दोनों ने इस खेल को सीखने के लिए हर कोशिश की।

विनेश फोगाट ने साल 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था। उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था और अपने करियर की शानदार शुरुआत की थी। फिर 2016 रियो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई, लेकिन उस दौरान वह पदक हासिल करने में नाकाम रही। 2018 में राष्ट्रमंडल खेों और एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्ड जीता। 2021 एशियाई चैंपियनशिप में अपना पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद वह टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा बनीं रही। फिर राष्ट्रमंडल खेल 2022 में लगातार तीसरी बार उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

साभार : दैनिक जागरण

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