नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार नौंवी बार रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है. 6 अगस्त से शुरू हुई मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee Meeting) की बैठक की समाप्ति के बाद आज रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. महंगाई को केंद्रीय बैंक की निर्धारित सीमा के भीतर लोन और आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है.भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4-2 बहुमत से नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया.
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और स्टैंडर्ड डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) की दरों में भी बदलाव नहीं किया गया है. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी 6.75 फीसदी और स्टैंडर्ड डिपॉजिट फैसिलिटी 6.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रहेंगी. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अनुकूल आधार प्रभाव के कारण हेडलाइन मुद्रास्फीति में नरमी आने की उम्मीद है, लेकिन यह प्रवृत्ति तीसरी तिमाही में उलट सकती है.
नहीं बढेगी ईएमआई
रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का मतलब है कि होम और कार लोन सहित कई तरह के कर्जों पर ब्याज दरों में बढोतरी नहीं होगी. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6.5 फीसदी कर दी गई. इसके बाद लगातार 9 बार केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हो चुकी है. बता दें कि रेपो रेट के आधार पर बैंक लोन की ब्याज दर पर फैसला लेते हैं.
मुद्रास्फीति पर फोकस
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि घरेलू विकास स्थिर शहरी खपत के कारण ठीक ढंग से हो रहा है. एमपीसी का मानना है कि मुद्रास्फीति को देखते हुए मौद्रिक नीति का स्थिर रहना महत्वपूर्ण है. समिति ने सतत आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए मुद्रास्फीति पर प्राथमिक ध्यान बनाए रखने पर जोर दिया. शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे सभी अर्थव्यवस्थाओं में कम हो रही है, जबकि मध्यम अवधि के वैश्विक विकास के सामने गंभीर चुनौतियां हैं. इन सबके बावजूद, घरेलू आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है. मांग में सुधार के कारण विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आ रही है.
जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वहीं, खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में खाद्य घटक अब भी चिंता का विषय है.
दूसरी तिमाही में बढ़ सकती महंगाई
RBI ने Q2FY25 के लिए मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को बढ़ाकर 4.4% कर दिया. आरबीआई ने ऐसा खाद्य कीमतों पर जारी दबाव को देखते हुए किया है. RBI ने Q2FY25 के लिए अपने CPI मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 3.8% के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 4.4% कर दिया है. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के महंगाई पूर्वानुमान को भी 4.6% से संशोधित कर 4.7% कर दिया गया है. वहीं चौथी तिमाही के महंगाई पूर्वानुमान को 4.5% से घटाकर 4.3% कर दिया है. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में CPI मुद्रास्फीति 4.4% रहने का अनुमान जताया है.
दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7.2 फीसदी रहने का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.2 फीसदी की दर से बढने का अनुमान जताया है. शक्तिकांत दास ने कहा कि Q3FY25 में जीडीपी का ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी और Q4FY25 में 7.2 फीसदी रह सकता है. वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी अनुमान 7.2 फीसदी निर्धारित किया गया है. कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2025 का वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा गया है.
विशेषज्ञों ब्याज दर अपरिवर्तित रहने का जताया था अनुमान
विशेषज्ञों ने पहले ही अनुमान जताया था कि रिजर्व बैंक इस मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा था कि महंगाई दर आज भी ऊंचाई पर बनी है. आने वाले महीनों में इसमें संख्यात्मक रूप से कमी आएगी, लेकिन आधार प्रभाव के कारण यह अधिक बनी रहेगी. इस वजह से आरबीआई अभी रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं करेगा. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा था कि वित्त वर्ष 2023-24 में उच्च वृद्धि, चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 4.9 फीसदी की महंगाई दर के साथ मिलकर ब्याज दर में बदलाव नहीं करने के पक्ष में रुख बना रही है.
साभार : न्यूज़18
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