नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट से सुकेश चंद्रशेखर को बड़ा झटका मिला है. कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को 26 महंगी लग्जरी कारों को बेचने की अनुमति देने वाले आदेश को बरकरार रखा, जिन्हें कथित तौर पर सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीला पॉलोज ने अपराध की आय से खरीदा था. दिल्ली हाई कोर्ट ने सुकेश चंद्रशेखर की सुनवाई के दौरान कहा कि चूंकि समय के साथ गाड़ियों की कीमत कम होती है. इसलिए उनकी कीमत और कार्यक्षमता पर भी असर पड़ेगा. इसलिए, उन्होंने ED को निर्देश दिया कि वह कारों की बिक्री से मिली रकम को ‘ब्याज-असर वाली’ फिक्स डिपोजिट में इस्तेमाल करे.
ट्रायल कोर्ट ने खारिज की थी लीना पॉलोस की याचिका
तिहाड़ जेल में बंद सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीना पॉलोस, जिन्हें 200 करोड़ रुपए की जबरन वसूली के मामले में भी गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने ED को गाड़ियों के निपटारे की अनुमति देने के लिए ट्रायल कोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसे जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने खारिज करते हुए कहा कि गाड़ियों का निपटारा कानून के अनुसार किया जा सकता है. इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस या आर्थिक अपराध शाखा के प्रतिनिधि को भी कारों की नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी थी.
लंबे समय तक खड़ा रखने से सड़ने लगती हैं गाड़ी- हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक कंटेनरनुमा गोदाम में रखने या फिर गाड़ियों को लंबे समय तक खड़ा रखने से वाहनों में सड़न पैदा होती है, जिसकी वजह से उनमें कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं और उनकी स्थिति भी प्रभावित हो सकती है. कोर्ट ने कहा “मौसम की स्थिति जैसे पर्यावरणीय कारक भी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने में योगदान देते हैं, जिसकी वजह से वाहनों में जंग लगने जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. जंग विशेष रूप से, वाहनों की संरचना और अन्य सभी घटकों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है.
जेल में रहने से लीना पॉलोज हुईं अवसाद से पीड़ित- वकील
इस दौरान सुकेश की पत्नी पॉलोज के वकील ने तर्क दिया कि जेल में 16 महीने से ज्यादा समय तक एकांतवास में रहने के कारण वह अवसाद से पीड़ित थीं और उसे केवल दो कारों – रोल्स रॉयस घोस्ट और ब्रेबस – के रजिस्टर्ड नंबर याद थे. पॉलोज के अनुसार, ये कारें कथित अपराध की तारीख से पहले 2018 में खरीदी गई थीं और इन्हें आपराधिक आय से नहीं खरीदा जा सकता था. उन्होंने यह भी दावा किया कि चंद्रशेखर की पत्नी होने के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है.
कार खरीदने और बेचने का है कारोबार-पॉलोज
पॉलोज ने बताया कि उनका कार खरीदने और बेचने का कारोबार है और उनमें से अधिकांश के पास कानूनी रूप से वैध लोन से ली गई हैं. ED ने पॉलोज की याददाश्त पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर तो उन्हें लोन के बारे में याद है, लेकिन दो से ज्यादा कारों के बारे में नहीं. उधर, ED के वकील ने तर्क दिया कि पॉलोज की याचिका निरर्थक है, क्योंकि 2022 और 2023 में ट्रायल कोर्ट के दो आदेशों के बाद 26 में से 17 कारों की नीलामी पहले ही हो चुकी है.
हाई कोर्ट ने कहा, “एक समझदार इंसान जो 26 आलीशान कारें खरीद सकता है, उसके पास न केवल अपनी आय के दस्तावेज और ब्यौरे होंगे, बल्कि ऐसी आलीशान कारों की खरीद/रखरखाव पर किए गए खर्च का पूरा ब्योरा भी होगा. हालांकि, लीना पॉलोज ने कोर्ट के सामने इन कारों पर अपने दावों का समर्थन करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं पेश किया है.
कोर्ट ने कहा, “इसके अलावा, उसे इस बहाने से शरण लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि जेल में उसकी कैद के कारण उसे तनाव और अवसाद हो रहा है, जिससे उसकी याददाश्त चली गई है, खासकर तब जब उसके दावे के समर्थन में कोई मेडिकल सबूत नहीं है.
साभार : एबीपी न्यूज
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं