इस्लामाबाद. पाकिस्तान की जेल में एक साल से बंद इमरान खान ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में चांसलर बनने के लिए आवेदन दे दिया है। इमरान के सलाहकार सैयद जुल्फिकार बुखारी ने सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी दी। बुखारी ने कहा कि इमरान चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चांसलर इलेक्शन 2024 का आवेदन फॉर्म जमा कर दिया है। ये चुनाव 28 अक्टूबर को होगा। ऑक्सफोर्ड के 800 सालों के इतिहास में पहली बार चांसलर चुनाव के लिए ऑनलाइन मतदान होगा। बुखारी ने कहा, “अगर वह चांसलर बनते हैं, तो वह एशियाई मूल के पहले व्यक्ति होंगे। यह सिर्फ पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया और बाकी दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।”
ऑक्सफोर्ड के स्टूडेंट रह चुके हैं इमरान
रविवार को उम्मीदवारों के लिए नामांकन बंद हो गया है। ऑक्सफोर्ड ने कहा कि अक्टूबर की शुरुआत में उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जाएगी। ऑक्सफोर्ड ने अंतिम लिस्ट जारी नहीं की है मगर कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, थेरेसा मे और बोरिस जॉनसन भी चुनाव लड़ने वाले हैं। इसके अलावा कुछ महिलाओं ने भी चांसलर पद के लिए आवेदन दिया है। अगर वे इस पद के लिए चुनी जाती हैं तो यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली महिला चांसलर होंगी। इमरान खान ऑक्सफोर्ड के ही छात्र हैं। उन्होंने 1972 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केबल कॉलेज से इकोनॉमिक्स में डिग्री हासिल की थी। वे 2005 से 2014 तक ब्रैडफोर्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में काम कर चुके हैं।
ऑक्सफोर्ड चांसलर ने मार्च में दिया था इस्तीफा
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर लॉर्ड क्रिस पैटन ने इसी साल फरवरी में अपने इस्तीफे का ऐलान किया था। 80 साल के पैटन 21 साल तक चांसलर रहे। उन्होंने फरवरी 2003 में पद संभाला था। लॉर्ड पैटन इससे पहले हांगकांग के 28वें और अंतिम ब्रिटिश गवर्नर के रूप में कार्यरत थे। वे 1990 से 1992 तक कंजर्वेटिव पार्टी के प्रेसिडेंट रहे थे। रॉय जेनकिंस की मृत्यु के बाद उन्हें चांसलर के रूप में चुना गया था। वे 19वीं शताब्दी में ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के बाद से पद पर रहते हुए न मरने वाले पहले चांसलर हैं। पैटन 1224 के बाद से ऑक्सफोर्ड के चांसलर का पद संभालने वाले 159वें शख्स हैं।
इमरान के जीतने के चांसेज कम
ऑक्सफोर्ड विवि के चांसलर के चुनाव में 2.5 लाख से ज्यादा मौजूदा और पुराने छात्र वोट करेंगे। इस चांसलर बनने का मौका यहां के ग्रेजुएट को मिलता है। नए नियमों के मुताबिक जो भी नए चांसलर बनेंगे उन्हें 10 साल का कार्यकाल मिलेगा।
साभार : दैनिक भास्कर
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं