वाशिंगटन. अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर ने अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य पर राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ सौर ऊर्जा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर 2,110 करोड़ रुपए ($265 मिलियन) की रिश्वत देने का आरोप लगाया है. कथित तौर पर रिश्वत 2020 और 2024 के बीच दी गई थी. अब इसको लेकर कंपनी ने बयान जारी किया है. अडानी ग्रुप ने अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है. ग्रुप ने अब अपना अगला कदम भी स्पष्ट कर दिया है.
अडानी ग्रुप ने जारी किया बयान
अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और उनका खंडन किया जाता है. जैसा कि अमेरिकी न्याय विभाग ने स्वयं कहा है. अभियोग में लगाए गए आरोप आरोप हैं और जब तक दोषी साबित नहीं हो जाते, तब तक डिफेंडेंट्स को निर्दोष माना जाता है. सभी संभव कानूनी उपाय किए जाएंगे. अडानी समूह ने हमेशा अपने संचालन के सभी क्षेत्रों में शासन, पारदर्शिता और रेगुलेशन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. हम अपने हितधारकों, भागीदारों और कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाले संगठन हैं, जो सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है.
आरोप के बाद कंपनी ने लिया था ये फैसला
कंपनी ने कहा है कि यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने हमारे बोर्ड के सदस्यों गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक आपराधिक अभियोग जारी किया है और एक सिविल शिकायत दर्ज की है. यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने हमारे बोर्ड के सदस्य विनीत जैन को भी इस तरह के आपराधिक अभियोग में शामिल किया है. इन घटनाक्रमों के मद्देनजर कंपनी ने ये फैसला लिया है कि ग्रुप की सहायक कंपनियों ने फिलहाल प्रस्तावित यूएसडी नामित बॉन्ड पेशकशों के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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