लखनऊ. मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल अर्जियों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट में करीब 3 घंटे बहस हुई। शुक्रवार दोपहर दो बजे से ईदगाह मस्जिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से बची हुई दलीलें पेश की जाएंगी। इसके बाद हिंदू पक्ष को अपनी दलीलें पेश करने का मौका मिलेगा। मुस्लिम पक्ष की ओर से दी गई दलीलों पर हिंदू पक्ष अपना जवाब दाखिल करेगा।
गुरुवार सुबह 11:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता तसलीम अहमदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस की। दोपहर 2:00 बजे से 3:30 बजे तक दोबारा मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की। हाई कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल अर्जियों की पोषणीयता पर बहस हो रही है। ऑर्डर 7 रूल्स 11 के तहत अर्जियों की पोषणीयता को चुनौती दी गई है।
मुस्लिम पक्ष ने कहा याचिका सुनने योग्य नहीं है
मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी जा रही है कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाएं पोषणीय नहीं है यानी सुनने योग्य नहीं है। मुस्लिम पक्ष की ओर से 1968 में हुए समझौते को लेकर भी मुस्लिम पक्ष ने दलील पेश की है। कहा है कि इसके तहत केशव देव कटरा की 13.7 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद को दी गई है। मुस्लिम पक्ष ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991, लिमिटेशन ऐक्ट का भी हवाला दिया है।
सर्वे कराए जाने की याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई
जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। गुरवार की सुनवाई में विवादित परिसर का अमीन सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट 18 अर्जियों पर एकसाथ सुनवाई कर रहा है। अयोध्या विवाद की तर्ज पर मामले की सुनवाई जिला अदालत के बजाय हाई कोर्ट में सीधे तौर पर हो रही है। ज्यादातर अर्जियों में शाही ईदगाह मस्जिद को हिंदुओं का धार्मिक स्थल बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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