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पाकिस्तान, चीन और विदेशी आतंकियों की सहायता से जम्मू-कश्मीर में फैलाना चाहता है आतंक

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जम्मू. जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से आतंक फिर अपने पंख फैलाने की कोशिश कर रहा है और औसतन हर 2 दिन में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच कहीं न कहीं मुठभेड़ देखने को मिल रही है. इन मुठभेड़ में मारे जाने वाले ज्यादातर आतंकी विदेशी हैं जो कि पाकिस्तानी नागरिक हैं और ऐसे आतंकी विशेषकर उत्तरी कश्मीर में स्थित जिलों में मारे जा रहे हैं. उरी सेक्टर में एक ऑपरेशन के दौरान चीनी उपकरण भी मिले हैं जिससे आशंका जताई जा रही है कि उसकी ओर से पाकिस्तान आतंकियों की मदद की जा रही है.

प्राप्त डाटा के अनुसार, इस साल अब तक सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच 8 मुठभेड़ हो चुकी है जिनमें उत्तरी कश्मीर में पाकिस्तानी मूल के 7 विदेशी आतंकियों को मारा गया जबकि एक स्थानीय आतंकी भी मारा गया है.

48 घंटे चला ‘ऑपरेशन बजरंग’

उरी सेक्टर में सोमवार सुबह भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन बजरंग’ को खत्म किए जाने का ऐलान किया. यह ऑपरेशन शनिवार को इस सेक्टर में तब शुरू हुआ था जब 5 घुसपैठियों के एक समूह द्वारा घुसपैठ करने की कोशिश की गई थी जिसको सेना ने नाकाम कर दिया, इस ऑपरेशन में जम्मू कश्मीर पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सीआरपीएफ का भी रोल रहा और 48 घंटों के बाद यह ऑपरेशन समाप्त हुआ.

इस ऑपरेशन में सूत्रों के अनुसार 2 घुसपैठियों को सेना ढेर करने में सफल रही हालांकि अब तक एक शव ही बरामद किया जा सका क्योंकि दूसरा शव नियंत्रण रेखा से बहुत करीब पड़ा था और सेना इसके लिए कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी. दूसरी ओर मौसम का बिगड़ा मिजाज भी इस ऑपरेशन में चुनौती पैदा कर रहा था.

मोबाइल के इस्तेमाल से बच रहे आतंकी

करीब 48 घंटों चले ऑपरेशन के खत्म होने के बाद ऑपरेशन बजरंग में सुरक्षाबलों को हथियार और बारूद बरामद होने के साथ-साथ चीन में बने कम्युनिकेशन गैजेट भी मिले हैं जिसे सैटेलाइट फोन की प्रणाली पर आतंकियों द्वारा काम में लाया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि अभी भी घाटी में विदेशी आतंकियों की संख्या स्थानीय आतंकियों की तुलना में ज्यादा है और यह संख्या करीब तीन गुना ज्यादा है. वे सुरक्षा रडार से बचने के लिए साधारण कम्युनिकेशन माध्यमों जैसे मोबाइल आदि का इस्तेमाल नहीं कर रहे और इसके लिए चीन के बने उपकरणों के इस्तेमाल की बात सामने आ रही है.

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, विदेशी मूल के आतंकियों ने जहां साधारण कम्युनिकेशन गैजेट्स का इस्तेमाल करना छोड़ दिया है और वे स्थानीय गाइड्स का भी बहुत कम इस्तेमाल कर रहे हैं. इस वजह से सुरक्षा एजेंसियों को इन्हें ट्रैस करने में काफी मशक्कत लगती है. अभी ये आतंकी चीन की ओर से दी गई YSMS और सैटेलाइट फोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनको ट्रेस करना भी रीयल टाइम में संभव नहीं हो पा रहा.

बारामूला के उरी सेक्टर में ‘ऑपरेशन बजरंग’ के दौरान मिला ‘चाइनीज अल्ट्रा सेट” वाला सैटेलाइट फोन जो कि सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पीर पंचाल में विदेशी आतंकियों का एक पसंदीदा और ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला डिवाइस है. सुरक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि इस सेट के जरिए भेजा गया संदेश किसी भी सेट में सीधे नहीं पहुंचता बल्कि एक कंट्रोल रूम तक पहुंचने के बाद दूसरे सेट तक पहुंचता है. ऐसे में इनको ट्रेस और ट्रैक करना मुमकिन नहीं होता.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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