देहरादून. उत्तरखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) लागू करने की बात लंबे समय से चल रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने वादा किया था कि सरकार बनने की स्थिति में प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की और पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बने. सीएम धामी ने कई मौकों पर प्रदेश में UCC लागू करने की बात कह चुके हैं. धामी सरकार ने इसको लेकर कमेटी भी बनाई. बताया जा रहा है कि यह कमेटी 2 फरवरी को अपना ड्राफ्ट सौंपेगी. इसके बाद 5 फरवरी को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा और UCC को लेकर विधेयक पेश कर उसे पास कराया जाएगा.
जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार वादे के मुताबिक प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है. उत्तराखंड सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार 5 फरवरी को विधानसभा का सत्र बुलाकर समान नागरिक संहिता का विधेयक सदन के पटल पर रखेगी और उसे पारित कराने की कोशिश करेगी. धामी सरकार ने 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता के सभी पहलुओं पर बारीकी से विचार करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित की थी. बताया जा रहा है कि यह कमेटी 2 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी. इसके बाद 5 फरवरी को विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड को पास कराया जाएगा.
अयोध्या की यात्रा रद्द
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर बनाई गई कमेटी 2 फरवरी को रिपोर्ट सौंप सकती है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अयोध्या यात्रा रद्द कर दी है. वह अपने कैबिनेट के सहयोगियों के साथ राम नगरी की यात्रा पर जाने वाले थे. ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इसे विधि, वित्त और न्याय विभाग के पास भेजेगी, ताकि रिपोर्ट के हर पहलू पर विचार किया जा सके तथा इसके कानूनी पक्ष को भी समझा जा सके. इस बाबत जानकारी देते हुए सीएम धामी ने बताया कि जस्टिस रंजना प्रकाश की अध्यक्षता में गठित 5 सदस्यीय कमेटी ने ड्राफ्ट का काम पूरा कर लिया है.
काफी कुछ बदल जाएगा
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने की स्थिति में तलाक केवल कानूनी प्रक्रिया से ही होगा. तलाक के सारे धार्मिक तरीके अवैध हो जाएंगे. नए कानून के दायरे में तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन भी आएंगे. इसके साथ ही यूसीसी लागू होने पर लिव इन में रहने की जानकारी तय प्रक्रिया के तहत सरकार को देनी होगी. यानी कि लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के तहत ही लिव इन रिलेशन की जानकारी लड़के-लड़की के माता-पिता को भी दी जाएगी. जानकारी न देने पर सजा का प्रावधान होगा.
साभार : न्यूज़18
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