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आरबीआई ने देश के जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान बढाकर 6.8% किया

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नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। इसे 5.5% पर जस का तस रखा है। यानी लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी। इससे पहले अगस्त में हुई मीटिंग में भी इसमें बदलाव नहीं हुआ था। देश की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया। यह फैसला मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चली मीटिंग में लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज यानी 1 अक्टूबर को इसकी जानकारी दी।

RBI गवर्नर ने कहा कि कमेटी के सभी मेंबर्स ब्याज दरों में स्थिर रखने के पक्ष में थे। GST में कटौती के बाद महंगाई में कमी के चलते ये फैसला लिया गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। इसमें बदलाव नहीं होने का मतलब है कि ब्याज दरें न तो बढ़ेंगी न घटेंगी।

इस साल 3 बार घटा रेपो रेट, 1% की कटौती हुई

RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी। दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। जून में तीसरी बार दरों में 0.50% कटौती हुई। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1% घटाई।

रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

साभार : दैनिक भास्कर

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